हरियाणा साहित्य अकादमी के उर्दू प्रकोष्ठ के निदेशक डॉ चंद्र त्रिखा ने कहा कि कविता के माध्यम से कवि अपने अंदर की संवेदनाओं की अभिव्यक्ति करता है।

अगर इस कविता को पढ़ने वाला पाठक ख़ुद के मनोभावों को इसमें पा लेता है तो कवि का लिखना सार्थक माना जाता है। डॉ सारिका धूपड़ द्वारा लिखित काव्य-संग्रह “उदगार” भी इसी कसौटी पर खरा उतरता है।
डॉ त्रिखा आज यहां पंजाब यूनिवर्सिटी के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में अभिव्यक्ति संस्था द्वारा आयोजित साहित्यिक कार्यक्रम में डॉ सारिका धूपड़ की ” उदगार ” पुस्तक का विमोचन करने के बाद अपने विचार व्यक्त कर रहे थे।
डॉ सारिका धूपड़ को उनके बेहतरीन शैक्षणिक कार्यों की बदौलत हाल ही में “स्टेट टीचर अवार्ड” भी मिला है।
डॉ त्रिखा ने कहा कि ‘कविता के मूल में संवेदना है’। कविता में लेखक अपनी भावनाओं, अनुभूतियों, दृश्यों, संगतियों आदि को संवेदनापूर्ण तरीके से व्यक्त करता है। उन्होंने डॉ सारिका के प्रयासों की सराहना की और भविष्य के लिए शुभकामनाएं भी दी।
इससे पूर्व , डॉ सारिका धूपड़ ने अपने काव्य-संग्रह “उदगार” के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी और बताया कि यह उनका दूसरा काव्य -संग्रह है , इससे पहले “अभिसार” भी प्रकाशित हो चुका है। उन्होंने बताया कि काव्य-संग्रह “उदगार” के लेखन में परिवार का विशेष सहयोग रहा है। डॉ सारिका ने इस पुस्तक में रामायण की पात्र मंथरा दासी और कैकेयी की भूमिका की व्याख्या एक अलग तरीके से की है , जिसमें बताया गया है कि मंथरा के प्रति बेशक समाज नकारात्मक दृष्टिकोण रखता है लेकिन उसने अपनी मालकिन कैकेयी के प्रति कर्तव्य-निष्ठा का निर्वहन किया है।
उन्होंने अपने मन के उदगारों को किस तरह एक लड़ी के रूप में पिरोकर “उदगार” नामक शब्द-माला बनाने का शिष्ट कार्य किया है , इसके बारे में मनोभावों को व्यक्त करते हुए डॉ सारिका कई बार भावुक भी हुई।
प्रसिद्ध साहित्यकार एवं मनोविज्ञान की प्रोफ़ेसर गुरदीप “गुल” धीर ने भी इस अवसर पर डॉ सारिका धूपड़ के काव्य-संग्रह “उदगार” की चंद कविताओं का उदाहरण देते हुए कहा कि शायर , कवि और लेख़क को अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का एक जरिया मिल जाता है , इन भावनाओं को लिख कर वह अपने मन का बोझ हल्का कर लेता है। प्रेम और विरह को जब लय में लिखता है तो पढ़ने वाले हर व्यक्ति को वह कहानी अपनी-सी लगती है।
जाने -माने कवि , लेखक और अभिनेता श्री विजय कपूर ने भी डॉ सारिका धूपड़ द्वारा लिखित काव्य-संग्रह “उदगार” में व्यक्त भावों की सराहना की। डॉ सारिका धूपड़ की माता डॉ मंजू आर्या ने डॉ सारिका की बचपन से लेकर अब तक की प्रतिभा से उपस्थित लोगों को रुबरु करवाया। मंच संचालन प्रांजल वर्मा ने किया।
इस अवसर पर शिक्षाविद्ध डॉ नवीन गुप्ता , डॉ हेमंत वर्मा के अलावा कई शिक्षाविद्ध एवं साहित्यकार उपस्थित थे।
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