Himachal Government aims to increase the income of farmers and ensure sustainable productivity
#राज्य सरकार राज्य में #प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देकर ग्रामीण #अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। इस महत्वाकांक्षी पहल का उद्देश्य# खेती की लागत को कम करना, किसानों की #आय में वृद्धि करना और सतत उत्पादकता सुनिश्चित करना है। प्रयासों के #सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं और किसान #रसायन आधारित खेती से हटकर #पर्यावरण के अनुकूल खेती करने के लिए प्रेरित हो रहे हैं, जो #जीवों और #पर्यावरण दोनों के लिए फायदेमंद है।
#आत्मनिर्भर हिमाचल के विजन के तहत, राज्य सरकार का लक्ष्य आने वाले समय में किसानों को आत्मनिर्भर बनाना है। अपने बजटीय प्रावधान में किए गए वादे के अनुसार, सरकार ने #680 करोड़ रुपये के #निवेश के साथ अपने तीसरे चरण में #राजीव गांधी प्राकृतिक खेती स्टार्ट-अप योजना शुरू की। यह योजना न केवल# प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देती है बल्कि #किसानों की #आय बढ़ाने के उद्देश्य से रोजगार के अवसर पैदा करने में भी मदद करती है। इसकी एक प्रमुख विशेषता प्राकृतिक खेती उत्पादों की प्राथमिकता वाली खरीद है, जिसमें गेहूं और मक्का के लिए क्रमशः 40 रुपये और 30 रुपये प्रति किलोग्राम का उच्चतम समर्थन मूल्य दिया जाता है, जो देश में दिया जाने वाला सबसे अधिक समर्थन मूल्य है। राज्य ने प्राकृतिक खेती करने वाले प्रत्येक किसान परिवार से 20 क्विंटल अनाज खरीदने की सीमा भी तय की है।
#प्राकृतिक खेती के उत्पादों के लिए #बाजार तक पहुंच को और बेहतर बनाने के लिए सरकार इस साल 10 नए #किसान-उत्पादक संघ बना रही है। ये संघ किसानों को अपने उत्पादों को अधिक कुशलता से बेचने में मदद करेंगे, जिससे उन्हें बेहतर रिटर्न मिलेगा और बेहतर जीवन जीने के लिए उनकी आय का स्रोत बढ़ेगा। इसके अलावा राज्य ने #गाय के दूध के लिए 45 रुपये प्रति लीटर और #भैंस के #दूध के लिए 55 रुपये प्रति लीटर खरीद मूल्य निर्धारित किया है, जिससे डेयरी किसानों को आय का एक अतिरिक्त स्रोत मिल गया है।
हिमाचल प्रदेश प्राकृतिक खेती के लिए एक आदर्श राज्य बन गया है, जिसने अन्य राज्यों को भी इसी तरह की प्रथाओं को अपनाने के लिए प्रेरित किया है। वर्तमान राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई# ‘हिम-उन्नति योजना’ भी #50,000 किसानों को शामिल करके और# 2,600 कृषि समूहों की स्थापना करके महत्वपूर्ण प्रगति कर रही है। यह योजना प्राकृतिक खेती को अपनाकर और# टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देकर रसायन मुक्त उत्पादन और# विपणन पर केंद्रित है।
प्राकृतिक खेती के माध्यम से अनाज, फल और सब्जियां उगाने वाले #किसान-बागवानों की संख्या लगातार बढ़ रही है और #सरकार बाजार व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए भी काम कर रही है ताकि किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य मिल सके।
टिकाऊ, रसायन मुक्त कृषि पर ध्यान केंद्रित करके, राज्य सरकार न केवल अपने किसानों का भविष्य सुरक्षित कर रही है, बल्कि अन्य राज्यों के लिए भी एक उदाहरण प्रस्तुत कर रही है। अपनी व्यापक प्राकृतिक खेती पहलों के माध्यम से, सरकार अधिक समृद्ध, #आत्मनिर्भर और पर्यावरण के अनुकूल भविष्य का मार्ग #प्रशस्त कर रही है।