Urged to adopt united and global cooperation against terrorism
कजान में 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के सत्र में पीएम मोदी ने युवाओं में कट्टरपंथ को रोकने के लिए सक्रिय कदम उठाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन के लंबित मुद्दे पर मिलकर काम करने का आह्वान किया।
इस दौरान पीएम मोदी ने ब्रिक्स देशों से आतंकवाद और आतंकी वित्तपोषण से निपटने के लिए एकजुट होने और मजबूती से सहयोग करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि ऐसे गंभीर मुद्दे पर दोहरे मापदंड के लिए कोई जगह नहीं है।
सुरक्षित एआई साइबर सुरक्षा, डीपफेक पर भी रखे विचार
पीएम ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि साइबर सुरक्षा और सुरक्षित एआई के लिए वैश्विक विनियमन के लिए काम किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी के युग में साइबर सुरक्षा, डीपफेक न्यूज और गलत सूचना की नई चुनौतियों के मद्देनजर ब्रिक्स से काफी उम्मीदें हैं।
भारत युद्ध के बजाय संवाद और कूटनीति का समर्थक
उन्होंने कहा कि यह ब्रिक्स शिखर सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब दुनिया युद्ध, संघर्ष, आर्थिक अनिश्चितता, जलवायु परिवर्तन और आतंकवाद सहित कई चुनौतियों के बीच है। दुनिया में उत्तर-दक्षिण और पूर्व-पश्चिम विभाजन की भी बात हो रही है। उन्होंने कहा कि भारत युद्ध के बजाय संवाद और कूटनीति का समर्थन करता है। उन्होंने आगे कहा कि ब्रिक्स एक सुरक्षित, मजबूत और समृद्ध भविष्य के लिए नए अवसर पैदा करने में सक्षम है क्योंकि इसने मिलकर कोविड-19 को हराया है।
खाद्य, ऊर्जा, स्वास्थ्य और जल प्राथमिकता वाले मुद्दे
प्रधानमंत्री ने कहा कि मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना और खाद्य, ऊर्जा, स्वास्थ्य और जल क्षेत्रों में सुरक्षा सुनिश्चित करना सभी देशों के लिए प्राथमिकता वाले मुद्दे हैं। उन्होंने कहा कि एक विविध और समावेशी मंच के रूप में ब्रिक्स सभी मुद्दों पर सकारात्मक भूमिका निभा सकता है और इस संदर्भ में दृष्टिकोण जन-केंद्रित रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स को दुनिया को यह संदेश देना चाहिए कि यह विभाजनकारी नहीं बल्कि जनहित समूह है।
पीएम मोदी ने यह भी कहा कि भारत ब्रिक्स भागीदार देशों के रूप में नए देशों का स्वागत करने के लिए तैयार है और इस संबंध में सभी निर्णय सर्वसम्मति से लिए जाने चाहिए। जोहान्सबर्ग शिखर सम्मेलन में हमने जो मार्गदर्शक सिद्धांत, मानक, मानदंड और प्रक्रियाएं अपनाई, उनका सभी सदस्य और भागीदार देशों द्वारा पालन किया जाना चाहिए।
वैश्विक संस्थाओं में सुधार की वकालत
पीएम ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद जैसी वैश्विक संस्थाओं में सुधार की वकालत की। उन्होंने कहा, “हमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, बहुपक्षीय विकास बैंकों और विश्व व्यापार संगठन जैसी वैश्विक संस्थाओं में सुधार के साथ समयबद्ध तरीके से आगे बढ़ना चाहिए। जैसे-जैसे हम ब्रिक्स के प्रयासों को आगे बढ़ा रहे हैं, हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि इस संगठन की छवि वैश्विक संस्थाओं को बदलने वाले समूह की नहीं बल्कि उनमें सुधार करने वाले समूह की होनी चाहिए।”