Governor Shiv Pratap Shukla awarded 259 degrees, 110 medals, mostly to females, at HPTU convocation.
राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने आज हमीरपुर में हिमाचल प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय के पांचवें दीक्षांत समारोह में 259 डिग्रियां और 110 पदक प्रदान किए। इस अवसर पर 59 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक और 51 को रजत पदक प्रदान किए गए। 110 पदकों में से 73 महिलाओं और 37 पुरुषों को पदक प्रदान किए गए। इसी प्रकार, दीक्षांत समारोह में 162 महिलाओं और 97 पुरुषों को डिग्रियां प्रदान की गईं।
डिग्री धारकों को बधाई देते हुए राज्यपाल ने कहा कि उन्हें उन परिस्थितियों पर विचार करने की आवश्यकता है, जिनमें उन्होंने डिग्री प्राप्त की है। उन्होंने युवाओं से अलग सोचने और जोखिम उठाने की अपील की, जो उन्हें समृद्धि की ओर ले जाएंगे। उन्होंने कहा कि दीक्षांत समारोह विद्यार्थियों के जीवन में एक महत्वपूर्ण प्रस्थान बिंदु होता है।
उन्होंने कहा कि इस उपलब्धि के लिए उन्हें समाज से जो कुछ मिला है, उसे किसी न किसी रूप में लौटाना होगा। उन्होंने कहा कि शिक्षकों ने भी आपकी सफलता में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और उन्होंने आपको विभिन्न विषयों में कौशल और ज्ञान प्रदान किया है और वे आपके मार्गदर्शक रहे हैं। उन्होंने युवाओं से समाज के लिए काम करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यवसाय अच्छा या बुरा नहीं होता, जरूरत है तो एक अच्छा इंसान बनने की। उन्होंने डिग्री धारकों से अपील की कि वे पहले अच्छे इंसान बनें और इस विश्वास को अपने साथ लेकर चलें।
राज्यपाल ने कहा कि अपने कार्यों में ज्ञान का प्रतिबिंब होना जरूरी है। शिक्षा की असली परीक्षा विद्यार्थी के व्यक्तिगत चरित्र, समाज के प्रति उसकी संवेदनशीलता और आचरण की प्रामाणिकता में देखी जाती है। समाज सेवा के महत्व को समझना और उसमें सक्रिय रहना राष्ट्र निर्माण के साथ-साथ आत्म निर्माण के लिए भी जरूरी है।
श्री शुक्ला ने कहा कि आपकी शिक्षा की सार्थकता यह होगी कि शिक्षा प्राप्त करने के बाद आपके सामने आने वाली चुनौतियों को अवसरों में बदलते हुए जीवन में आगे बढ़ते रहें और जिस नए अनुभव के साथ आप दुनिया में प्रवेश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस 21वीं सदी में ज्ञान विश्व बाजार में सबसे महत्वपूर्ण पूंजी के रूप में उभरा है। राज्यपाल ने कहा कि आज उस व्यक्ति के लिए अपार अवसर उपलब्ध हैं जो हमेशा उत्साह और सजगता के साथ अपने ज्ञान, कौशल और बुद्धि का विकास करता है। कई भारतीय युवाओं ने अपने कौशल के बल पर ही आधुनिक तकनीक के माध्यम से विश्व स्तरीय सफलता हासिल की है। उन्होंने कहा कि स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए केन्द्र व राज्य सरकारों द्वारा अनेक कदम उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि इन अवसरों का समुचित उपयोग करके विद्यार्थी नौकरी मांगने वाले नहीं बल्कि नौकरी देने वाले बन सकते हैं।
उन्होंने कहा कि तकनीकी शिक्षा सहित उच्च शिक्षा को वितरण प्रणाली में नवाचार करके लोगों के द्वार तक पहुंचाया जाना चाहिए। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के औपचारिक शुभारम्भ से इस लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता मिलेगी। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों, शिक्षकों, शिक्षाविदों तथा समाज के आम लोगों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बारे में जागरूक करने की आवश्यकता है। उन्होंने विद्यार्थियों से हिमाचल प्रदेश को नशा मुक्त राज्य बनाने में योगदान देने का आह्वान किया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि नीति आयोग के सदस्य प्रो. विनोद कुमार पॉल ने कहा कि यह दीक्षांत समारोह विद्यार्थियों, अभिभावकों तथा शिक्षकों के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है, जब उनकी कड़ी मेहनत, लगन तथा अभिभावकों की प्रार्थनाओं का फल मिला है। उन्होंने कहा कि विकसित भारत देश के इतिहास में एक अनूठा आंदोलन है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2047 तक देश को विकसित भारत बनाने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि भले ही संस्थान नया है, लेकिन इसने बहुत कम समय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को काफी हद तक लागू किया है, जिसके लिए संस्थान का प्रशासन बधाई का पात्र है। उन्होंने विद्यार्थियों से अपील की कि वे बड़ा सोचें, जीवन में बड़े लक्ष्य निर्धारित करें और उन्हें प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करें। प्रोफेसर विनोद ने कहा कि केंद्र सरकार युवाओं को शिक्षा और विशेषकर कौशल विकास प्रदान करने के लिए विशेष प्रयास कर रही है। अटल प्रशिक्षण स्कूल लैब और प्रधानमंत्री विद्या लक्ष्मी योजना जैसी योजनाओं से युवाओं को बड़े पैमाने पर लाभ मिल रहा है। उन्होंने कहा कि हमें दुनिया को बेहतर प्रतिभा और कौशल प्रदान करना है।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में मेडिकल डिवाइस पार्क, बल्क ड्रग पार्क आदि स्थापित किए जा रहे हैं। तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी ने कहा कि यह महत्वपूर्ण क्षण थे, जिसने उनके जीवन को बदल दिया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने उन्हें भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार किया है।
श्री धर्माणी ने कहा कि आप केवल डिग्री प्राप्त नहीं कर रहे हैं, बल्कि यह उससे कहीं अधिक है और यह आपको समाज की समस्याओं का समाधान प्रदान करने में सक्षम बनाता है। उन्होंने कहा कि हमें “विकसित भारत” की परिकल्पना को साकार करना होगा और इसके लिए हमें कार्योन्मुखी होना होगा।
उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन से पूर्व छात्रों के नेटवर्क को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि ज्ञान साझा करना आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है और डिग्री धारकों से अपील की कि वे जीवन में सीखना और नवाचार करना कभी बंद न करें और अपनी संस्कृति से जुड़े रहें। मंत्री ने कहा कि उन्हें अपनी शिक्षा को केवल डिग्री प्राप्त करके कमाने तक सीमित नहीं रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि हर कोई डिग्री प्राप्त नहीं कर सकता।