शंखनाद की ध्वनि के साथ सरस व शिल्प मेले के उद्घाटन से हुआ अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव का भव्य शुभारंभ

The most beautiful start of the Crafts and Saras Mela of the International Gita Mahotsav 2024, a wonderful confluence of drums, craftsmen and artists, the Governor himself met the artists.

राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने शंखनाद की ध्वनि के बीच कुरुक्षेत्र में सरस और शिल्प मेले के उद्घाटन किया और इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव-2024 का भव्य शुभारंभ हुआ। इस सरस और शिल्प मेले के शुभारंभ के साथ ही प्रदेश के विभिन्न राज्यों से आए कलाकारों और शिल्पकारों की खुशी का ठिकाना ना रहा। इन कलाकारों ने अपने-अपने प्रदेश की संस्कृति की छटा बिखेर कर उद्घाटन समारोह को यादगार बनाने के साथ-साथ चार चांद लगाने का काम किया। इस सरस और शिल्प मेले के साथ राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने मंत्रौच्चारण के बीच महोत्सव के मीडिया सेंटर का भी उद्घाटन किया।

राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने वीरवार को ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2024 में दीपशिखा प्रज्जवलित करके परंपरा अनुसार सरस और शिल्प मेले का शुभारंभ किया और श्रीमदभगवद गीता की प्रति पर पुष्प अर्पित कर अपनी श्रद्धा को व्यक्त किया। इसके पश्चात राज्यपाल ने ब्रह्मसरोवर के तट पर शिल्प और सरस मेले का अवलोकन किया। इस दौरान उन्होंने ढोल-नंगाड़ा पार्टी, करतब दिखा रहे कलाकार, नृत्य कर रहे कलाकार और बीन पार्टी से बातचीत की। इतना ही नहीं राज्यपाल ने सरस मेले में जोधपुर से महोत्सव में पहली बार आई शिल्पकार प्रेमवती, भिवानी से शिल्पकार वीरेंद्र, राजस्थान की शिल्पकार अमोलक, हिमाचल हमीरपुर के शिल्पकार मेहर से उनकी शिल्पकला के बारे में विस्तार से पूछा। इन स्टॉलों पर राज्यपाल ने कुछ मिनट बिताए और शिल्पकला और सेल्फ हेल्प ग्रुप के बारे में भी जानकारी हासिल की। राज्यपाल ने इन स्टॉलों पर हाथ से बने कसीदा कला, हाथ से बने लोहे के बर्तन की प्रशंसा की है। इसके अलावा देश के विभिन्न राज्यों से आए शिल्पकला को देखकर शिल्पकारों के साथ अपने मन की भावनाओं को भी साझा किया।

उन्होंने कहा कि यह हम सभी के लिए ऐतिहासिक अवसर है। इस शिल्प और सरस मेले की सुंदर और भव्य शुरुआत शिल्पकारों के लिए सार्थक होगी। इस ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर दूर-दराज से आने वाले लाखों पर्यटकों के लिए एक मंच पर विभिन्न राज्यों के शिल्पकारों और सरस मेले में पहुंचे सेल्फ हेल्प ग्रुप के सदस्यों की कला देखने को मिलेगी। यह दृश्य पर्यटकों के लिए अद्भुत और अनोखा होगा। इस मेले के लिए केडीबी और प्रशासनिक अधिकारी बधाई के पात्र है, सभी के साझे प्रयासों से इस मेले का परंपरा अनुसार आगाज हुआ है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव 2024 का आयोजन 28 दिसंबर से 15 दिसंबर 2024 तक किया जाएगा और मुख्य कार्यक्रम 8 दिवसीय होंगे और यह कार्यक्रम 5 से 11 दिसंबर तक चलेंगे। इस महोत्सव में संत सम्मेलन, दीपोत्सव, गीता सेमिनार, वैश्विक गीता पाठ मुख्य आकर्षण का केंद्र रहेंगे। इन कार्यक्रमों से युवा पीढ़ी को प्रेरणा मिलेगी और प्राचीन संस्कृति से आत्मसात होने का अनोखा अवसर भी मिलेगा।
उपायुक्त नेहा सिंह ने मेहमानों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि तीर्थ यात्रियों के लिए प्रशासन की तरफ से पुख्ता इंतजाम किए गए है। इस मौके पर थानेसर के विधायक अशोक अरोड़ा, पूर्व राज्यमंत्री सुभाष सुधा, अंबाला मंडल आयुक्त गीता भारती, उपायुक्त नेहा सिंह, पुलिस अधीक्षक वरुण सिंघल, केयूके के कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा, एनआईटी के निदेशक डा. के रमना, केडीबी सीईओ पंकज सेतिया, केयूके कुलसचिव डॉ. संजीव शर्मा, केडीबी मानद सचिव उपेंद्र सिंघल, 48 कोस तीथ निगरानी कमेटी के चेयरमैन मदन मोहन छाबड़ा, भाजपा के जिलाध्यक्ष सुशील राणा, प्राधिकरण के सदस्य सौरव चौधरी, डा. रमनीत सिंह, केडीबी सदस्य अशोक रोसा, डॉ. ऋषिपाल मथाना, कैप्टन परमजीत सिंह, युद्घिष्ठïर बहल, तिजेंद्र गोल्डी, सुभाष पाली आदि उपस्थित थे।

राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि आज अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव के शुभारंभ का ऐतिहासिक अवसर है। हजारों साल पहले कुरुक्षेत्र की भूमि पर भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था। यह गीता ज्ञान उस वक्त जितना उपयोगी था, आज भी उतना ही उपयोगी है। कुरुक्षेत्र भी उस वक्त जितना उपयोगी था, आज भी उतना ही उपयोगी है। गीता का यह संदेश युगों-युगों तक याद रखा जाएगा। राज्यपाल ने कहा कि गीता महोत्सव न केवल कुरुक्षेत्र की भूमि पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर भी मनाया जा रहा है। आज विधिवत रूप से सरस मेले के उद्घाटन के साथ इसका शुभारंभ हुआ है।

राज्यपाल ने कहा कि देश और विदेश से लोग अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में पहुंचेंगे। इस बार भी लाखों की संख्या में लोग पहुंचेंगे। इसके साथ-साथ विभिन्न प्रांतों से कलाकार, शिल्पकार, कारीगर व सामान बेचने वाले स्वयं सहायता समूह महोत्सव में पहुंचे हैं। इससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिलता है और लोगों को हमारी संस्कृति जानने का अवसर भी मिलता है।

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