Traditional snake charmer “Been baja” art faces extinction; support is needed for livelihood, education, and societal recognition.
हरियाणा के थानेसर (कुरुक्षेत्र) में स्थित ब्रह्मसरोवर पर अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2024 मनाया जा रहा है। ब्रह्म सरोवर दिल्ली से 159 किलोमीटर व क्षत्रिय रेलवे स्टेशन से 3.5 किलोमीटर की दूरी पर है। गीता महोत्सव की शुरुआत सन 1989 से हुई व सन 2016 से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मनाया जा रहा है। यह पर्व मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। लेकिन महोत्सव के विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कई दिन पहले से शुरू हो जाता है।
बीन-बाजा पार्टी के सरदार (संयोजक) ने बताया कि बीन बजाकर सपेरों के खेल दिखाना सपेरों का मुख्य पेशा था। लेकिन वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 व 2023 के बाद सांपों का पकडऩा अवैध कर दिया गया। जिनके चलते ये अपने पारंपरिक कला के पेशे से वंचित हो गए व आर्थिक दशा भी ठीक नहीं है। इसलिए अपनी जीविका के लिए शादी-विवाहों व अन्य उत्सवों पर बीन बजाकर अपना पेशा चला रहे है। लेकिन आधुनिक युग की चकाचौंध व डीजे जैसे वाद्य मशीनरी के आगे बीन बजाना भी फीका पड़ गया है। यह पारम्परिक कला लुप्त होने की कगार पर है इसलिए इसके विकास के लिए सरकार और समाज दोनों का योगदान आवश्यक है। सरकार को इनके रहने, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार की तरफ ध्यान देना चाहिए। वहीं समाज अगर आधुनिक डीजे जैसे सिस्टम को त्यागकर शादी-विवाहों में बीन बाजा पार्टी को बुलाए तो इनकी जीविका आसान हो जाएगी।
गीता महोत्सव के इस मंच पर इन्ही कार्यक्रमों के तहत धोरों की धरती व गौरवमय इतिहास की पहचान रखने वाले राजस्थान की लोक कला कालबेलियों का बीन-बाजा की धुन मुख्य आकर्षण का केंद्र बन रही है। कालबेलियों की लोक कला एवं कालबेलिया नृत्य को 2010 में केन्या के नौरोवी में यूनेस्को द्वारा अमृत सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल किया गया। इसी कालबेलिया समाज की गुलाबो सपेरा को उनके कालबेलिया नृत्य के उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए 2016 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। बीन बाजा पार्टी के सपेरों की पारंपरिक पोशाक, बीन चिमटा, ढोलक, तुम्बी आदि वाद्य यंत्रों की धुन ने दर्शकों का मन मोह लिया। इसी बीन की धुन में महोत्सव में आने वाले पर्यटक मदमस्त होकर नृत्य कर रहे है।