CM Sukhu launches ‘Ni-Kshay Abhiyan’ to make Himachal Pradesh TB-free through screening and awareness.
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आज यहां ‘नि-क्षय अभियान’ के तहत आयोजित एक समारोह में पोर्टेबल एक्स-रे मशीन से तपेदिक (टीबी) की जांच की। इस समारोह में वे मुख्य अतिथि भी थे। उन्होंने इस पहल के लिए समर्पित एक मोबाइल वैन को भी हरी झंडी दिखाई। इस अवसर पर बोलते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि 100 दिवसीय ‘नि-क्षय अभियान’ हिमाचल प्रदेश को टीबी मुक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस अभियान का उद्देश्य टीबी के मामलों की समय पर पहचान, प्रभावी उपचार और समुदायों में जागरूकता बढ़ाना सुनिश्चित करना है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह अभियान राज्य के सभी जिलों में चलाया जाएगा, जिसमें कमजोर और हाशिए पर पड़े समूहों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। उन्होंने सभी से अपने क्षेत्रों में नि-क्षय शिविर अभियान में सक्रिय रूप से भाग लेने और लोगों को टीबी के लक्षणों को पहचानने और समय पर जांच कराने के लिए प्रोत्साहित करने की अपील की।
उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि हिमाचल प्रदेश निकट भविष्य में टीबी मुक्त होने की राह पर है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने टीबी के लिए अतिरिक्त 100 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य की 13 प्रतिशत आबादी 60 वर्ष से अधिक आयु की है, जिससे वृद्धों के लिए शीघ्र निदान और रोकथाम महत्वपूर्ण हो जाती है। उन्होंने बीमारियों की रोकथाम के लिए युवा पीढ़ी के लिए जागरूकता और स्वस्थ जीवन शैली के महत्व पर जोर दिया।
श्री सुक्खू ने कहा कि सरकार कम उम्र से ही जागरूकता पैदा करने के लिए स्कूली पाठ्यक्रम में स्वास्थ्य शिक्षा को शामिल करने पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा, “स्वास्थ्य क्षेत्र राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता बना हुआ है और इस प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए कई सुधार लागू किए जा रहे हैं। अस्पतालों में आपातकालीन विभागों को उन्नत किया जा रहा है और मेडिकल कॉलेजों के लिए आधुनिक चिकित्सा उपकरणों के लिए निविदाएं पहले ही जारी की जा चुकी हैं।” मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि एक साल के भीतर राज्य के लोगों को उन्नत निदान और उपचार सुविधाओं तक पहुंच प्राप्त होगी।
उन्होंने यह भी कहा कि सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में रेफरल प्रणाली को देखभाल की मजबूत प्रणाली से बदला जा रहा है। उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों को आकर्षित करने और बनाए रखने के लिए सरकार सुपर-स्पेशलिस्ट डॉक्टरों के लिए मासिक भत्ते को 60,000 रुपये से बढ़ाकर 1.75 लाख रुपये और विशेषज्ञ डॉक्टरों के लिए 1 लाख रुपये करने पर विचार कर रही है।
मुख्यमंत्री ने राज्य के जंगलों को उत्तर भारत के फेफड़े भी कहा। उन्होंने केंद्र सरकार से राज्य के जंगलों के संरक्षण के प्रयासों को मान्यता देते हुए “ग्रीन बोनस” प्रदान करने की अपील की। इसके अतिरिक्त, उन्होंने कहा कि राज्य सतत भविष्य के लिए हरित उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए अपनी औद्योगिक नीति में संशोधन कर रहा है।
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने टीबी मुक्त भारत के लिए शपथ दिलाई तथा टीबी रोगियों को नि-क्षय पोषण किट वितरित की।उन्होंने अभियान में योगदान देने वाली संस्थाओं और संगठनों को भी सम्मानित किया।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री कर्नल (डॉ.) धनी राम शांडिल ने सभी से टीबी के प्रति सतर्क रहने तथा शीघ्र उपचार के लिए समय पर जांच करवाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में टीबी की जांच की दर देश में सबसे अधिक है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार टीबी रोगियों की पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए मासिक वित्तीय सहायता भी प्रदान कर रही है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि टीबी को खत्म करने के लिए जन सहयोग महत्वपूर्ण है।
इससे पूर्व, मिशन निदेशक एनएचएम प्रियंका वर्मा ने मुख्यमंत्री का स्वागत किया, जबकि सचिव स्वास्थ्य एम. सुधा देवी ने नि-क्षय अभियान पर विस्तृत प्रस्तुति दी। विधायक हरीश जनारथा, नगर निगम शिमला के महापौर सुरेंद्र चौहान, एनएचएम की उपायुक्त डॉ. जोया अली रिजवी और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे।