सामाजिक विषयों को उठता है साहित्यकार विनोद शर्मा का नव प्रकाशित कहानी संग्रह यही है जिंदगी : ऊषा आर शर्मा

Vinod Sharma’s story collection ‘Yeh Hai Zindagi’ released, discussed at Chandigarh literary event.

चर्चित साहित्यकार विनोद शर्मा के नव प्रकाशित कहानी संग्रह यही है जिंदगी का विमोचन व चर्चा आज कम्युनिटी सेंटर 43 के सभागार में हुई। कार्यक्रम का आयोजन संवाद साहित्य मंच और आचार्यकुल, चण्डीगढ़ की ओर से किया गया। मुख्य अतिथि के रूपु में प्रसिद्ध कवयित्री ऊषा आर. शर्मा व विशिष्ट अतिथि के रूप में पार्षद प्रेमलता उपस्थित रहीं। कार्यक्रम के आरम्भ में सुरजीत धीर ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की तथा कार्यक्रम का संचालन डा. संगीता शर्मा कुन्दरा ने किया।

पुस्तक पर बोलते हुए साहित्यकार विनोद खन्ना ने कहा कि विनोद शर्मा की कहानियां सिर्फ स्त्री-पुरुष संबंधों पर ही केंद्रित नहीं है। यह आर्ट फिल्मों की तरह समकालीन मुद्दों को भी परिभाषित करती है। साहित्यकार प्रेम विज ने कहा कि इन कहानियों में सामाजिक जीवन के सकारात्मक पहलू, कुरीतियों के खिलाफ आवाज, राजनीतिक परिवेश, जीवन मूल्यों में आए बदलाव व्यवस्था में आए भाई-भतीजावाद को व्यक्त किया गया है। कविवर डा. विनोद शर्मा ने कहा कि कहानी संग्रह में जिंदगी के विभिन्न दृष्टिकोण को लिया गया है। लेखक का अनुभव भी मिलता है। समाजसेवी व आचार्यकुल चंडीगढ़ के अध्यक्ष केके शारदा ने कहा कि कहानियां सामाजिक परिवेश से जुड़ी हुई हैं। स्त्री-पुरुष के संबंधों को नयी परिभाषा दी गई है। कवयित्री ऊषा आर शर्मा ने कहा कि सामाजिक विषयों को उठाती ये कहानियां सोचने पर बाध्य कर देती हैं। युवा पीढ़ी को बेरोजगारी से लड़ने के लिए प्रेरित करती है।

काव्य पाठ में डा. अनीश गर्ग ने बेंगलुरु में अतुल सुभाष की आत्महत्या पर पंक्तियां दर्ज करते हुए कहा कि हर किसी की हिफाज़त को कानून है यहां…,पुरुषों की हिफाज़त में कानून है कहां?

कवयित्री डा. प्रज्ञा शारदा ने कविता में कहा कि दवा बहुत हो चुकी…डाक्टर छोड़ो रोग को…मां उतारोगी नजर…स्वस्थ करेगी वो मुझको। कवयित्री रेखा मित्तल ने कहा कि घर से निकले हुए लोग…कभी घर वापिस नहीं लोटते। विमला गुगलानी ने पुरानी कार्यस्थली को याद करते हुए कहा कि यहां वहां सब घूम कर देखा याद पुरानी आई…कभी यहां था राज हमारा, चलती थी पुरवाई। आरके भगत, हरेन्दर सिन्हा, पल्लवी रामपाल, शायर भट्टी, प्रेमविज, विमला गुगलानी, पाल अजनबी, जगतार जोग, सिमरजीत ग्रेवाल, दरवेश, पल्लवी, शायर भट्टी, संतोष गर्ग, रेखा मित्तल व नीरू मित्तल नीर आदि ने कविताएं प्रस्तुत कर खूब वाहवाही लूटी।

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