चण्डीगढ़ में बिजली विभाग के निजीकरण के खिलाफ अब जनता भी विरोध करने लगी

A meeting discussed privatization of the electricity department in Chandigarh, urging the Administrator to halt it.

अखिल भारतीय उत्तर प्रदेश वेलफेयर एसोसिएशन, चण्डीगढ़ की एक बैठक संस्था के वरिष्ठ उपाध्यक्ष संजीव वर्मा की अध्य्क्षता में हुई जिसमें चण्डीगढ़ में बिजली विभाग के निजीकरण के मुद्दे पर विचार-विमर्श करके चण्डीगढ़ के प्रशासक को पत्र लिखा, जिसमें उनसे बिजली विभाग के निजीकरण की प्रक्रिया रोकने की गुजारिश की गई है।

संजीव वर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि चण्डीगढ़ के उपभोक्ताओं को अन्य प्रदेशों की तुलना में उचित दरों पर बिजली उपलब्ध हो रही है। सभी उपभोक्ता चंडीगढ़ विद्युत विभाग की सेवाओं से संतुष्ट हैं क्योंकि जैसे ही कोई विद्युत समस्या उत्पन्न होती है, विभाग के कर्मचारी तुरंत कार्रवाई करते हैं और समस्या का समाधान करते हैं।

विभाग सुचारू रूप से कार्य कर रहा है और करोड़ों का लाभ कमा रहा है। यदि इसे निजी कंपनियों को सौंपा गया तो वे अनावश्यक शुल्क वसूलकर लाभ कमाने का प्रयास करेंगी और सरकार का उन पर कोई नियंत्रण नहीं रहेगा। विभाग के हजारों कर्मचारी निजी संगठन के अधीन हो जाएंगे, जिनमें से कई अपनी नौकरियां खो देंगे।

भारत एक कल्याणकारी राज्य है और इसका प्राथमिक कर्तव्य है कि वह अपने नागरिकों को सस्ती दरों पर बिजली, पानी और अन्य बुनियादी आवश्यकताएँ उपलब्ध कराए तथा उनके हितों की रक्षा करे।

यदि विद्युत विभाग निजी हाथों में चला गया, तो केवल निजी कंपनी के हितों की पूर्ति होगी और आम जनता को नुकसान उठाना पड़ेगा। कमजोर वर्ग, विशेषकर झुग्गी-झोपड़ी क्षेत्रों में रहने वाले लोग, निजी कंपनियों द्वारा लगाए गए बिजली शुल्क को वहन करने में सक्षम नहीं होंगे। इस प्रकार, बड़ी संख्या में लोग बिजली की सुविधा से वंचित हो जाएंगे।  उपरोक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए चंडीगढ़ विद्युत विभाग को किसी निजी कंपनी को नहीं सौंपा जाना चाहिए। बैठक में वीएस पाठक, रामायण कुशवाह, शिवालिक वर्मा, जय प्रकाश वर्मा व परवीन गोयल आदि भी मौजूद रहे।

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