Governor Shiv Pratap Shukla emphasized ethical values during the IA&AS 2024 Batch inauguration at Gaiety Theatre.
भारतीय लेखा परीक्षा एवं लेखा सेवा (आईएएंडएएस) के 2024 बैच के प्रशिक्षु अधिकारियों के उद्घाटन समारोह तथा राष्ट्रीय लेखा परीक्षा एवं लेखा अकादमी के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह का उद्घाटन करते हुए राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने मूल्यों एवं कौशल के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि उनके कार्य का नैतिक आधार सर्वोपरि है। कार्यक्रम का आयोजन आज यहां गेयटी थियेटर में किया गया।
राज्यपाल ने कहा कि इस संस्थान की स्थापना लोक सेवकों का समर्पित, सक्षम एवं नैतिक कैडर तैयार करने के उद्देश्य से की गई थी, जो हमारे राष्ट्र की चुनौतियों का समाधान करने तथा लोगों की विशिष्ट सेवा करने में सक्षम हों। उन्होंने कहा कि इन 75 वर्षों में अकादमी ने न केवल ज्ञान एवं कौशल प्रदान किया है, बल्कि ईमानदारी, निष्पक्षता एवं सेवा के प्रति समर्पण के मूल्यों का भी संचार किया है।
राज्यपाल ने प्रशिक्षु अधिकारियों से कहा, “जिस सटीकता, ईमानदारी एवं पारदर्शिता के साथ आप अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हैं, उसका सीधा प्रभाव हमारी लोकतांत्रिक संस्थाओं की मजबूती, शासन की गुणवत्ता तथा हमारी वित्तीय प्रणाली में जनता के विश्वास पर पड़ेगा।”
उन्होंने कहा कि IA&AS के अधिकारियों के रूप में, वे सरकार में एक अद्वितीय स्थान रखेंगे, जो निष्पक्षता और ईमानदारी के दोहरे स्तंभों पर बना है। उन्होंने कहा कि लेखापरीक्षा पेशा एक पवित्र विश्वास पर आधारित है। उन्होंने कहा कि “जिस ईमानदारी के साथ आप अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं, वह सार्वजनिक हित की रक्षा करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि सामाजिक कल्याण, बुनियादी ढांचे के विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य आवश्यक सेवाओं के लिए आवंटित धन का उपयोग उनके इच्छित उद्देश्यों के लिए किया जाए। सार्वजनिक वित्त की जटिलताओं के लिए लेखांकन सिद्धांतों, लेखा परीक्षा प्रक्रियाओं और शासन संरचनाओं की गहरी समझ की आवश्यकता होती है।”
राज्यपाल ने उन्हें तकनीकी रुझानों से आगे रहने, डिजिटल ऑडिटिंग टूल से खुद को परिचित करने और यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि वित्तीय प्रणाली भविष्य के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि एक लोक सेवक के रूप में, सबसे बड़ी संतुष्टि सबसे गरीब लोगों की सेवा करने और उनके चेहरों पर मुस्कान लाने से मिलती है। उन्होंने कहा कि “आपके संवैधानिक कर्तव्य के साथ हमेशा आपसी सहानुभूति से भरा विवेकपूर्ण दृष्टिकोण होना चाहिए,” उन्होंने कहा कि हमारे संविधान में निहित स्वतंत्रता एक खजाना है जिसे संजोया जाना चाहिए और “युवा अधिकारियों के रूप में आपकी भूमिका व्यावसायिकता के माध्यम से इसमें अधिक मूल्य जोड़ना है”। उन्होंने उन्हें निरंतर सीखने और विकसित होते ज्ञान परिदृश्य के अनुकूल ढलने के लिए प्रोत्साहित किया।
इस अवसर पर राष्ट्रीय लेखापरीक्षा एवं लेखा अकादमी (एनएएएंडए) के महानिदेशक मनीष कुमार ने राज्यपाल का स्वागत किया और उन्हें सम्मानित किया।
इस अवसर पर उप नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक रेबेका मथाई ने भी अपने विचार व्यक्त किए और प्रशिक्षु अधिकारियों के समग्र विकास पर जोर दिया।
इस अवसर पर राज्यपाल ने एनएएएंडए के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में अकादमी@75 वेबसाइट और विशेष कवर का भी अनावरण किया।
इस अवसर पर प्रशिक्षु अधिकारियों ने राज्यपाल के समक्ष अपना परिचय दिया।
इससे पहले पाठ्यक्रम निदेशक समीर मेहता ने राज्यपाल का स्वागत किया और निदेशक पुष्पलता ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा।
इस अवसर पर प्रधान महालेखाकार (लेखा एवं हकदारी) सुशील कुमार, प्रधान महालेखाकार (लेखापरीक्षा) सुशील ठाकुर, राज्यपाल के सचिव सी.पी. वर्मा और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।