Punjab Government and IIT Ropar sign MoU to establish a Mining and Geology Centre of Excellence.
पंजाब के मुख्यमंत्री सरदार भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में पंजाब सरकार ने खनन एवं भूविज्ञान मंत्री बरिंदर कुमार गोयल की मौजूदगी में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रोपड़ के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौता ज्ञापन का उद्देश्य पंजाब में खनन एवं भूविज्ञान के लिए उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करना है।
प्रेस विज्ञप्ति में यह जानकारी देते हुए खनन एवं भूविज्ञान मंत्री श्री बरिंदर कुमार गोयल ने कहा कि यह उत्कृष्टता केंद्र राज्य में खनन गतिविधियों के वैज्ञानिक मूल्यांकन और निगरानी को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि सोनार और लिडार जैसी उन्नत तकनीकों का उपयोग करके यह केंद्र लघु खनिजों की मात्रा का सटीक निर्धारण करने और खनन से पहले और बाद में सर्वेक्षण करने में सहायता करेगा। इसके अतिरिक्त, यह विभाग को मानसून सीजन से पहले और बाद में सर्वेक्षण करने में सहायता करेगा, जिससे नदी तल और खनन स्थलों का व्यापक मूल्यांकन सुनिश्चित होगा।
कैबिनेट मंत्री श्री बरिंदर कुमार गोयल ने कहा कि पंजाब डिजिटल खनन प्रबंधन प्रणाली को लागू करने वाला भारत का पहला राज्य बन गया है। रोपड़ में स्थापित यह नया केंद्र खनिज संसाधनों का वैज्ञानिक और पारदर्शी मूल्यांकन सुनिश्चित करेगा, जिससे सरकारी राजस्व में वृद्धि होगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि ये तकनीकी प्रगति अवैध खनन गतिविधियों पर अंकुश लगाने और वित्तीय घाटे को रोकने में मदद करेगी, जिससे पंजाब का खनन क्षेत्र अधिक संरचित और टिकाऊ बनेगा। मंत्री ने कहा कि निगरानी के अलावा, केंद्र जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट और खनन योजनाएं भी विकसित करेगा, जिससे राज्य में खनन कार्यों की दक्षता बढ़ेगी। यह समझौता ज्ञापन पांच साल के लिए लागू होगा।
श्री गोयल ने दोहराया कि आज का दिन खनन अधिकारियों, पंजाब सरकार और पंजाब के लोगों के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि अवैध खनन से निपटने के लिए सरकार सैटेलाइट सर्वे, ड्रोन सर्वे और ग्राउंड सर्वे कराएगी।
कैबिनेट मंत्री ने आगे कहा कि यह सिस्टम पूरी तरह से ऑनलाइन काम करेगा, जिसमें दैनिक डेटा अपडेट और अधिकारियों के लिए स्पष्ट जवाबदेही होगी। एकत्र किए गए डेटा से खनन स्थलों पर वैध और अवैध दोनों तरह की रेत निकासी को ट्रैक करने में मदद मिलेगी। इसके अतिरिक्त, यह सिस्टम बांधों में रेत जमा होने की जानकारी देगा – मानसून से पहले और बाद में स्तरों का निर्धारण करेगा।
श्री बरिंदर कुमार गोयल ने कहा कि इस प्रणाली से वैध और अवैध खनन स्थलों की सही संख्या की पहचान हो सकेगी। केंद्र द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों से मानसून से पहले नदियों में रेत के जमाव को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी, जिससे बाढ़ की रोकथाम के प्रभावी उपाय सुनिश्चित होंगे। यह प्रणाली हर 20 मीटर पर रेत और बजरी के जमाव को मापेगी, जिससे गांवों को बाढ़ से बचाने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि बांध और नदियां जो पहले बाढ़ और लोगों के लिए मुश्किलें पैदा करती थीं, अब पंजाब के लिए बहुमूल्य संसाधन बन जाएंगी। यह पहल किसानों की जमीनों को बाढ़ से बचाएगी, जिससे कृषि समुदाय को काफी राहत मिलेगी। साथ ही, यह ठेकेदारों द्वारा शोषण और भ्रष्टाचार को खत्म करेगी, जिससे निष्पक्ष व्यवस्था सुनिश्चित होगी।
मंत्री गोयल ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश भी जारी किए हैं कि ये उपाय कागजी कार्रवाई तक सीमित न रहें। उन्होंने सभी अधिकारियों को फील्ड विजिट करने, नियमित बैठकें करने और खनन क्षेत्र का पूरी ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ प्रबंधन करने के निर्देश दिए।
मंत्री ने कहा, “यह समझौता पिछले कुप्रबंधन को खत्म करने और लोगों को उचित और उचित कीमतों पर रेत उपलब्ध कराने की दिशा में एक बड़ा कदम है।” डिजिटल मॉड्यूल कार्यकुशलता बढ़ाएगा, साइट मूल्यांकन में पारदर्शिता लाएगा, तथा पर्यावरणीय नियमों का अनुपालन करते हुए वास्तविक समय पर निगरानी सुनिश्चित करेगा।