पंजाब विश्वविद्यालय में कॉपकनेक्ट साइबर वेलनेस क्लिनिक का शुभारंभ

Punjab University launched CopConnect Cyber Wellness Clinic to aid cybercrime victims with ISAC and Zscaler.

साइबर अपराध पीड़ितों की सहायता के उद्देश्य से आज पंजाब विश्वविद्यालय में कॉपकनेक्ट साइबर वेलनेस क्लिनिक की शुरुआत की गई। यह पहल पंजाब विश्वविद्यालय और आईएसएसी (इंफॉर्मेशन शेयरिंग एंड एनालिसिस सेंटर) के संयुक्त सहयोग से, जेडस्केलर की सीएसआर सहायता के साथ शुरू की गई है। इस क्लिनिक का उद्देश्य छात्रों, शिक्षकों और नागरिकों को साइबर सुरक्षा की महत्वपूर्ण जानकारी और पीड़ित सहायता प्रणाली से सशक्त बनाना है।

पंजाब विश्वविद्यालय के कौशल विकास एवं उद्यमिता केंद्र (सीएसडीई) में स्थित यह क्लिनिक साइबर सुरक्षा प्रशिक्षण, अनुसंधान और पीड़ित सहायता के लिए एक केंद्र के रूप में कार्य करेगा। यहां साइबर अपराध जागरूकता कार्यक्रम, पीड़ितों के लिए व्यापक सहायता प्रणाली और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ समन्वय की सुविधा प्रदान की जाएगी।

क्लिनिक का उद्घाटन पंजाब पुलिस की अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) साइबर क्राइम, सुश्री नीरजा वी, आईपीएस और पंजाब विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. रेनू विग ने किया। उन्होंने इसे एक सुरक्षित डिजिटल समुदाय बनाने की दिशा में अहम कदम बताया। अपने संबोधन में श्रीमती नीरजा ने साइबर अपराध के बढ़ते खतरे की रोकथाम के लिए जागरूकता और पीड़ित की सहायता की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि साइबर अपराध तेजी से बदल रहे हैं, और ऐसे क्लिनिक लोगों को सही जानकारी और उपकरण देकर उन्हें डिजिटल सुरक्षा में सक्षम बना सकते हैं।

प्रो. रेनू विग ने शिक्षा, कानून प्रवर्तन और उद्योग जगत के सहयोग की आवश्यकता पर प्रकाश डाला और इस क्लिनिक को भविष्य में एक उन्नत साइबर क्राइम और फॉरेंसिक केंद्र के रूप में विकसित करने की संभावना व्यक्त की।

इससे पहले, सीएसडीई की मानद निदेशक प्रो. सुवीरा गिल ने अतिथियों का स्वागत किया और साइबर सुरक्षा को मजबूत करने में शिक्षाविदों की भूमिका पर चर्चा की। कॉपकनेक्ट के निदेशक ग्रुप कैप्टन पी. आनंद नायडू ने क्लिनिक के शिक्षा और पीड़ित सहायता मिशन को विस्तार से बताया, जबकि जेडस्केलर की सीएसआर प्रमुख सुश्री करिश्मा भूयान ने साइबर सुरक्षा जागरूकता को बढ़ावा देने में कंपनी की प्रतिबद्धता दोहराई।

सीएसडीई के समन्वयक और फॉरेंसिक विशेषज्ञ डॉ. विशाल शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए सभी हितधारकों के प्रयासों की सराहना की और छात्रों व पेशेवरों को क्लिनिक की सेवाओं का लाभ उठाने के लिए प्रेरित किया।

क्लिनिक में फिशिंग, पहचान चोरी, साइबर धोखाधड़ी और ऑनलाइन सुरक्षा जैसे विषयों पर कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी। पीड़ितों को साइबर क्राइम फर्स्ट रिस्पॉन्डर, साइबर वकील, साइबर मनोवैज्ञानिक और फॉरेंसिक विशेषज्ञों से बहुआयामी सहायता मिलेगी। इसके अलावा, कानून प्रवर्तन अधिकारियों के साथ डिजिटल फॉरेंसिक क्षमताओं को बढ़ाने के लिए व्यावहारिक प्रशिक्षण सत्र भी होंगे।

छात्रों और पेशेवरों को आईएसएसी के माध्यम से 26 साइबर सुरक्षा प्रमाणपत्र प्राप्त करने का अवसर मिलेगा, साथ ही आईएसएसी के सिमुलेशन टूल्स, ब्रिचपॉइंट बग बाउंटी प्लेटफॉर्म, एथिक्सफर्स्ट प्रोफेशनल एथिक्स रेटिंग्स और नेशनल सिक्योरिटी डाटाबेस तक पहुंच मिलेगी। क्लिनिक का उद्देश्य साइबर अपराध के पीड़ितों को त्वरित सहायता प्रदान करना है, ताकि कानून प्रवर्तन एजेंसियों को अपराधों की जांच के लिए अधिक समय मिल सके।

इस पहल के माध्यम से पंजाब विश्वविद्यालय ने न केवल अपने छात्रों और कर्मचारियों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी है, बल्कि पूरे समुदाय को डिजिटल युग में सुरक्षित रखने की दिशा में एक मजबूत कदम उठाया है।

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