हरियाणा के मुख्यमंत्री एवं अध्यक्ष, जलापूर्ति एवं सीवरेज बोर्ड नायब सिंह सैनी ने जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग की जलापूर्ति एवं सीवरेज बोर्ड की 57वीं बैठक की अध्यक्षता की। ग्रामीण जलापूर्ति योजना के कुल 814 कार्यों को 2100.02 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई। शहरी जलापूर्ति योजना के लिए 120 कार्य को 40.13 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई तथा शहरी क्षेत्रों के लिए सीवरेज योजनाओं के 42 कार्य को 152.55 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई।
अमृत 2.0 कार्यक्रम के तहत शहरी क्षेत्रों के लिए जलापूर्ति योजनाओं में 1315.61 करोड़ रुपये की 34 नई योजनाएं तथा 754.20 करोड़ रुपये की 5 नई सीवरेज योजनाएं स्वीकृत की गई। शहरी क्षेत्रों में बाढ़ कार्य कार्यक्रम के तहत जल निकासी व्यवस्था को मजबूत करने के लिए 70 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि स्वीकृत की गई। साथ ही जल निकासी व्यवस्था के लिए 14.20 करोड़ रुपये की नई योजनाएं स्वीकृत की गई।
सेरोही बेहोली, मुसनोता और असरावास गांवों में जल किल्लत के साथ-साथ नांगल दर्ग में जल समस्याओं को दूर करने के लिए 352.20 करोड़ रुपये की लागत वाली एक नई जल आपूर्ति परियोजना को मंजूरी दी गई है। इसका उद्देश्य तीनों गांवों में नहर आधारित नए जल कार्यों का निर्माण करना और अटेली डिस्ट्रीब्यूटरी से पानी प्राप्त करके नांगल दर्मू में मौजूदा व्यवस्था में सुधार करना है। यह परियोजना 39 गांवों के लिए विश्वसनीय और पर्याप्त पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करेगी, जिससे लगभग 170,000 निवासियों को लाभ होगा। इसके अतिरिक्त, नांगल चौधरी शहर को भी इस विकास से लाभ होगा।
नूंह और पलवल जिलों के 108 गांवों को प्रभावित करने वाले गंभीर पेयजल संकट से निपटने के लिए एक नई एकीकृत रेनीवेल आधारित जल आपूर्ति योजना को मंजूरी दी गई है, जहां खारे पानी और नहर नेटवर्क की कमी के कारण ट्यूबवेल पर निर्भरता है। पिछली सफलताओं से प्रेरित यह योजना अलग- अलग दरों पर पानी उपलब्ध कराएगीः पांच बड़े गांवों (बिसरू, बिछोर, नाई, सिंगर और पिंगवान) और पुन्हाना शहर के लिए 135 एलपीसीडी 15% यूएएफ, जिससे सीवरेज सिस्टम की स्थापना संभव होगी और शेष 103 गांवों के लिए 70 एलपीसीडी। इस परियोजना का उद्देश्य क्षेत्र में पानी की गुणवत्ता और कमी के मुद्दों का एक स्थायी समाधान प्रदान करना है। रु 744.60 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना से 103 गांवों और 5 महाग्राम गांवों को लाभ मिलेगा। इस परियोजना का उद्देश्य पेयजल की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार लाना, स्वास्थ्य और समृद्धि को बढ़ावा देना है।