Irrigation Minister Shruti Chaudhary attended a conference on India’s water crisis and rainwater harvesting.
राजस्थान के उदयपुर में आयोजित दो दिवसीय अखिल भारतीय राज्य जल मंत्रियों के सम्मेलन में प्रदेश की सिंचाई मंत्री श्रुति चौधरी ने शिरकत की। कैबिनेट मंत्री श्रीमती श्रुति चौधरी ने बताया कि सम्मेलन में देश के जल संकट और पानी के जल संचय को लेकर चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन भारत के जल सुरक्षा भविष्य को आकार देने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।
श्रीमती श्रुति चौधरी ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि हरियाणा में पानी संरक्षण को लेकर विभिन्न योजनाएं चल रही है । हर जिले तक पानी पहुंचाने के लिए पर्याप्त कार्य किए जा रहे हैं। जल प्रबंधन के लिए राज्य सरकार थ्री-आर सिद्धांत यानी रिड्यूस, रीसाइकिल और रीयूज पर लगातार काम कर रही है। राज्य ने अब तक एकीकृत जल संसाधन योजनाओं में निर्धारित लक्ष्य का लगभग 4.6 बिलियन क्यूबिक मीटर (75%) पानी की बचत हासिल की है। प्रमुख उपलब्धियों में लगभग 4.54 लाख एकड़ में चावल की सीधी बुआई को बड़े पैमाने पर अपनाया गया है। 788 प्रभावी तालाबों का नवीनीकरण और सिंचाई और शहरी प्रबंधन के लिए 12,000 करोड़ लीटर अपशिष्ट जल का उपयोग हो रहा है। कृषि के लिए उपचारित अपशिष्ट जल का उपयोग करने की कई परियोजनाएं पूरी होने वाली हैं।
उन्होंने इस दौरान भारत सरकार से किशाऊ बांध परियोजना के एमओयू की अंतिम प्रक्रिया में तेजी लाने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इससे हमें 709 क्यूसेक पानी मिलेगा, जो जल सुरक्षित हरियाणा के हमारे लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक होगा। साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार से सतलुज यमुना लिंक नहर और मावी बैराज के निर्माण की मांग भी की।
मंत्री श्रुति चौधरी ने पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल को भी याद किया और कहा कि पश्चिमी व दक्षिणी हरियाणा में सिंचाई सुविधाओं का विस्तार करने में बंसीलाल जी की अहम भूमिका रही थी। उन्हीं के प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए हम इस दिशा में पारदर्शिता के साथ काम कर रहे हैं।
सम्मेलन में जल प्रबंधन के महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा की जा रही है, जिसमें प्रभावी शासन, सीमा पार सहयोग, अभिनव वित्तपोषण और सामुदायिक भागीदारी शामिल है। इस सम्मेलन में तकनीकी समाधान, कुशल जल उपयोग और विभिन्न क्षेत्रों में बेहतर समन्वय पर भी जोर दिया जाएगा। 19 फ़रवरी तक चलने वाले इस सम्मेलन में भारत को 2047 तक जल-सुरक्षित, विकसित भारत के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को प्राप्त करने के करीब ले जाएगा जहां सभी नागरिकों के लिए सुरक्षित और पर्याप्त पानी की पहुंच सुनिश्चित की जाएगी।