पंजाब के किसान अपनी मांगों को लेकर 14 फरवरी से प्रदेश के शंभू व खन्नौरी बॉर्डर पर डटे हुए हैं। इन किसानों ने सरकार के प्रतिनिधियों से मिलने के लिए दिल्ली का रुख किया था लेकिन इन्हें हरियाणा बॉर्डर पर ही रोक दिया गया था। जिसके बाद किसानों ने वहीं पक्का मोर्चा लगाकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। करीब 5 महीने से चल रहे इस आंदोलन में कई किसानों की जान जा भी चुकी है लेकिन केंद्र सरकार की तरफ से इस बारे में कोई सकारात्मक पहल अभी तक नहीं हुई है।
अब बॉर्डर पर बैठे किसान संगठनों ने निर्णय लिया है कि आंदोलन को और तेज किया जाए। इसी के चलते खन्नौरी सीमा पर संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) और किसान मजदूर संघर्ष मोर्चा की साझी बैठक की गई। इस दौरान किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने बताया कि फैसला हुआ कि 22 जुलाई को दिल्ली के कांस्टीट्यूशनल क्लब में सभा की जाएगी। इसमें देशभर से विभिन्न किसान जत्थेबंदियों के नुमाइंदे पहुंचेंगे। वहीं, जाने-माने खेतीबाड़ी माहिर भी शिरकत करेंगे।
सम्मेलन में केंद्र सरकार के झूठ का पर्दाफाश किया जाएगा। उन्होंने बताया, सरकार के नुमाइंदे गलत प्रचार कर रहे हैं कि किसानों को एमएसपी की कानूनी गारंटी देने से बजट पर करीब साढ़े 17 लाख करोड़ का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। कन्वेंशन के जरिये विपक्षी दलों के सांसदों से मांग की जाएगी कि वह वादे पर खरा उतरते हुए संसद में एमएसपी की कानूनी गारंटी का प्राइवेट बिल लाएं।
अंबाला SP कार्यालय के घेराव के लिए लगाई ड्यूटियां
कन्वेंशन के जरिये विपक्षी दलों के सांसदों से मांग की जाएगी कि वह वादे पर खरा उतरते हुए संसद में एमएसपी की कानूनी गारंटी का प्राइवेट बिल लाएं। साथ किसानों व मजदूरों की कर्ज मुक्ति, स्वामीनाथन रिपोर्ट के मुताबिक किसानों को उनकी फसलों के दाम मिलना तय कराने संबंधी भी संसद में आवाज उठाकर केंद्र पर दबाव बनाए। डल्लेवाल ने कहा कि बैठक में 17 व 18 जुलाई को अंबाला के एसपी दफ्तर के घेराव को लेकर भी किसानों की ड्यूटियां लगाई गईं हैं।
चंडीगढ़ में किसान संगठन करेंगे रुख साफ
डल्लेवाल ने आगे बताया कि हरियाणा सरकार की ओर से पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए एफिडेफिट की कापी हासिल की जा रही है। इसके मिलते ही देखा जाएगा कि हरियाणा सरकार ने बैरीकेडिंग न हटाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में क्या तर्क दिए हैं। इसके बाद 16 जुलाई को चंडीगढ़ में मीडिया के सामने किसान जत्थेबंदियां अपना रूख साफ करेंगी कि आगे क्या किया जाएगा। डल्लेवाल ने कहा कि रास्ते बंद होने को लेकर पिछले कुछ समय से किसानों के खिलाफ व्यापारियों व आम जनता में गलत प्रचार किया गया। व्यापारियों को हो रहे घाटे व लोगों की परेशानी के लिए किसानों को जिम्मेदार ठहराया गया। लेकिन हाईकोर्ट ने साफ कर दिया है कि इसके लिए किसान जिम्मेदार नहीं है। अब हाईकोर्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जाकर हरियाणा सरकार ने यह साबित कर दिया है कि इन्हें व्यापारियों व लोगों से कोई वास्ता नहीं, इनका एकमात्र मकसद केवल किसानों को दिल्ली नहीं जाने देना है। लेकिन किसान अपने स्टैंड पर डटे हैं। मांगें पूरी होने तक आंदोलन जारी रहेगा। फिर चाहे इसमें कितना ही समय लगे। डल्लेवाल ने कहा कि किसान जत्थेबंदियों की अपील है कि व्यापारी व आम लोग उनके साथ आकर लड़ाई में साथ दें।
सुप्रीम कोर्ट दे चुका हरियाणा सरकार को आदेश
हरियाणा व पंजाब के बीच शंभू बॉर्डर को सील करने के मामले में पिछले दिनों हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार को फटकार लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने तो इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा था कि आखिर हरियाणा सरकार नेशनल राजमार्ग को इतने लंबे समय तक कैसे बंद करके रख सकती है। इसके साथ ही आदेश दिए गए थे कि एक सप्ताह में प्रदेश सरकार बेरिकेड्स हटाते हुए राजमार्ग को पूरी तरह से खोले।