हिमाचल भवन, नई दिल्ली के मामले में न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील दायर करेगी सरकार: मुख्यमंत्री

Says Jai Ram’s BJP Government failed to contest the case during their regime and failed to protect the interests of the state

मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने आज यहां पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के उस निर्णय पर राज्य सरकार उचित कानूनी कदम उठाएगी, जिसमें नई दिल्ली स्थित हिमाचल भवन को कुर्क करने के आदेश पारित किए गए हैं।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार राज्य के हितों की रक्षा के लिए इस मामले की जोरदार पैरवी करेगी। उन्होंने कहा कि यह परियोजना वर्ष 2009 में कंपनी को प्रदान की गई थी तथा तत्कालीन ऊर्जा नीति के अनुसार, यदि डीपीआर प्रस्तुत करते समय कहा जाता है कि परियोजना वित्तीय रूप से व्यवहार्य नहीं है, तो अग्रिम प्रीमियम वापस करने का कोई प्रावधान नहीं था, भले ही कंपनी विद्युत परियोजना स्थापित करने में सफल हो या नहीं। उन्होंने कहा कि तत्कालीन ऊर्जा नीति के तहत राज्य को प्रति मेगावाट 10 लाख रुपये का भुगतान करने का प्रावधान था, लेकिन प्रतिस्पर्धी बोली के दौरान मैसर्ज मोजर बियर प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड ने प्रति मेगावाट 20 लाख रुपये की बोली लगाई तथा 64 करोड़ रुपये की अग्रिम प्रीमियम राशि जमा करवाई। उन्होंने कहा कि उन्हें इस नीति के प्रावधान की जानकारी है, क्योंकि इसे श्रीमती सोनिया गांधी के समय तैयार किया गया था। विद्या स्टोक्स ऊर्जा मंत्री थीं और मैंने उस समय विधायक के रूप में इस नीति को तैयार करने में योगदान दिया था।

320 मेगावाट की सेली हाइडल इलेक्ट्रिक परियोजना के संबंध में हिमाचल प्रदेश सरकार, मेसर्स मोजर बेयर प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स सेली हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी के बीच 22 मार्च 2011 को एक त्रिपक्षीय पूर्व-कार्यान्वयन समझौता किया गया था। 2017 में कंपनी ने यह कहते हुए परियोजना को सरेंडर कर दिया कि परियोजना वित्तीय रूप से व्यवहार्य नहीं थी और सरकार ने नीति के अनुसार आवंटन रद्द कर दिया और अग्रिम प्रीमियम जब्त कर लिया।

सुक्खू ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष जय राम ठाकुर ने विधानसभा चुनाव-2022 की शुरुआत में 5000 करोड़ रुपये की मुफ्त चीजें बांटी। उन्होंने इसे राज्य के संसाधनों की आभासी नीलामी बताया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अडानी के मामले में उच्च न्यायालय से राज्य के पक्ष में निर्णय प्राप्त करने में भी सफल रही। लेकिन पिछली भाजपा सरकार के कार्यकाल में जयराम ठाकुर ने इस मामले में हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के विपरीत फैसले को चुनौती देने की जहमत तक नहीं उठाई। हालांकि, वर्तमान राज्य सरकार ने समझौते की दलीलों को बलपूर्वक लेकर डबल बेंच के समक्ष मामले की पैरवी की और राज्य के 280 करोड़ रुपये बचाए तथा हाईकोर्ट की डबल बेंच ने राज्य सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया।

मुख्यमंत्री ने जयराम ठाकुर के उस बयान की निंदा की, जिसमें उन्होंने कहा था कि सरकार को इस मामले में शीर्ष वकीलों को नियुक्त करना चाहिए था। उन्होंने कहा कि जयराम सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान इस मामले में ज्यादा रुचि क्यों नहीं ली, जबकि वे पांच साल तक सत्ता में रहे। लेकिन जयराम सरकार मुफ्तखोरी में व्यस्त रही तथा राज्य के हितों की उसे कोई चिंता नहीं रही और उसने प्रशासनिक तथा कानूनी चूक की।

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