प्रत्येक व्यक्ति रामचरितमानस को आधार बनाकर जीवन जीए तो वहीं रामराज्य पुन: स्थापित हो जाएगा : प्रेममूर्ति पूज्य संतोष जी महाराज

Shri Ram Katha at Shri Sai Dham highlights Ramcharitmanas values for societal harmony till April 6.

से. 29 स्थित श्री साईं धाम में नवरात्री एवं रामनवमी के अवसर पर पहली बार संगीतमय श्री रामकथा का आयोजन किया जा रहा है जो 6 अप्रैल को रामनवमी के दिन तक चलेगी। कथावाचक प्रेममूर्ति पूज्य संतोष जी महाराज (अयोध्या धाम वाले) ने आज की कथा में कहा कि भाई हो तो भरत जैसा, मां हो तो कौशल्या-सुमित्रा जैसी और सेवक हो तो लक्ष्मण जैसा। अगर आज भी हमारे समाज में प्रत्येक व्यक्ति रामचरितमानस को आधार बनाकर जीवन जीए तो वहीं रामराज्य पुन: स्थापित हो जाएगा। संस्कृत जगत में पांच भरतों का वर्णन प्राप्त होता है। दशरथ पुत्र भरत, दुष्यंत पुत्र भरत, मान्धाता के प्रपौत्र भरत, अवधूत ऋषि स्वयं जडभरत और नाट्य शास्त्रकार भरतमुनि। भरत के नाम से इस देश का नाम भारत पड़ा है और भारत विश्वगुरु बनने की ओर बढ़ रहा है, जिसे कि समग्र विश्व टकटकी लगाकर देख रहा है। अब वह समय दूर नहीं जब हम विश्वगुरु होंगे और सभी देश हमारा अनुसरण करने के लिए लालायित रहेंगे, लेकिन हमें रामराज्य की स्थापना के लिए स्वार्थ को त्यागकर देशहित को मन में रखकर कर्तव्य पथ पर अग्रसर होना होगा।
भरत और राम जैसे भ्रात:बंधुत्व के बिना विश्वगुरु भारतवर्ष की कल्पना नहीं की जा सकती। पंचवटी की आध्यात्मिकता को दर्शाते हुए पूज्य स्वामी ने कहा कि भगवान राम के पंचवटी में प्रवेश से पहले पंचवटी के वृक्ष सूखे थे। पंचवटी अर्थात पंचतत्व से बना यह शरीर। इसमें जब तक ज्ञानरूपी राम, वैराग्यरूपी लक्ष्मण और भक्तिरूपी सीता प्रवेश नहीं करेंगे, तब तक हमारा मानव जीवन निरर्थक है, इसलिए ज्ञानरूपी राम अर्थात अध्यात्म ज्ञान की जिज्ञासा विषयों से वैराग्य और माता-पिता के चरणों की सेवा रूपी भक्ति, राष्ट्रभक्ति, गौ भक्ति सेवा हमारे जीवन का मूल आधार होना चाहिए।
नवरात्री के कार्यक्रमों के चलते श्री साई धाम को बेहद फूलों से आकर्षक ढंग से सजाया गया है तथा जबरदस्त लाइटिंग की गई है जोकि देखते ही बनती है। कथा में यजमान बनने के लिए भक्तों में भारी उत्साह है। रामकथा में कथावाचक प्रतिदिन सांय 7 बजे से रात्रि 10 बजे तक कथा वाचन करते हैं जबकि कथा से पूर्व रोजाना सांय 4 बजे से से सांय 6 बजे तक मंडप पूजन किया जाता है।
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