The International Gita Mahotsav showcases diverse culture, crafts, and folk traditions, attracting thousands daily.
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का मंच देश की संस्कृति और शिल्पकला का मुख्य केन्द्र बन चुका है। इस महोत्सव के मंच पर विभिन्न राज्यों की शिल्पकला और लोक संस्कृति रंग बिखेरते देखा जा सकता है। इस अनोखी संगम से ब्रह्मसरोवर की फिजा भी महक उठी है। यह महक देश के कोने-कोने तक पहुंच चुकी है और इस महक से रोजाना हजारों लोग ब्रह्मसरोवर के तट पर खिंचे चले आते है।
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव-2024 के शिल्प और सरस मेले का चौथा दिन है और रोजाना पर्यटकों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। ब्रह्मसरोवर के घाटों पर उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक कला केन्द्र की तरफ से बेहतरीन कलाकारों द्वारा प्रस्तुतियां दी जा रही है। इन प्रस्तुतियों में किसी घाट पर पंजाबी संस्कृति, कहीं पर हरियाणवी और कहीं पर हिमाचल तो कहीं पर राजस्थान की लोक संस्कृति को देखने का अवसर मिल रहा है। इस लोक संस्कृति का आनंद लेने के साथ-साथ लोग ब्रह्मसरोवर के चारों तरफ एनजेडसीसी और डीआरडीए की तरफ से लगे सरस और शिल्प मेले में अनोखी शिल्पकला को भी खूब निहार रहे है। इस वर्ष 650 से ज्यादा स्टॉल लगाए गए है। इसमें राष्ट्रीय, राज्य अवार्डी शिल्पकार भी शामिल है।
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, राजस्थान, हिमाचल के साथ-साथ कई अन्य राज्यों की लोक संस्कृति देखने को मिल रही है। जब इन लोक कलाकारों द्वारा ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर अपनी प्रस्तुति दी जाती है तो वहां पर देखने वाले पर्यटक अपने पैरों पर थिरकने को मजबूर हो जाते है। ऐसी अद्भुत संगीतमय लोक संस्कृति, इस महोत्सव में आने वाले सभी पर्यटकों के मन का रिझाने का काम कर रही है।