मां जानकी सा किरदार निभाया कस्तूरबा ने…

Acharya Kul Sanstha honored Kasturba Gandhi’s sacrifice with a commemorative event featuring esteemed guests.

आज आचार्य कुल संस्था, चण्डीगढ़ द्वारा कस्तूरबा गांधी जी की पुण्यतिथि को श्रद्धा एवं सम्मानपूर्वक मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए आचार्य कुल के अध्यक्ष कृष्ण कुमार शारदा ने बताया कि स्वतंत्रता संग्राम में जितना महात्मा गांधी जी का योगदान रहा, उसके समकक्ष ही कस्तूरबा गांधी का त्याग और बलिदान रहा।

वास्तविक मायनों में वह गांधी जी के लिए आदर्श एवं प्रेरणास्रोत महिला थीं। जैसे मां सीता का सानिध्य श्रीराम के साथ त्याग का पर्याय रहा उसी तरह कस्तूरबा का संग महात्मा गांधी के साथ रहा। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि स्थानीय पार्षद प्रेमलता रहीं। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रसिद्ध समाजसेवी एवं वरिष्ठ कवि डा. अनीश गर्ग ने की। लंदन से आए रंगकर्मी एवं चित्रकार सुरेश पुष्पाकर विशेष अतिथि रहे।

वरिष्ठ साहित्यकार एवं संस्था के उपाध्यक्ष प्रेम विज ने सभी अतिथियों का शाल एवं पुष्प गुच्छ भेंट करके स्वागत किया। पल्लवी रामपाल ने खूबसूरत आवाज़ में सरस्वती वंदना से कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

डेज़ी बेदी ने विद्वतापूर्ण मंच संचालन करके खूब वाहवाही लूटी। वरिष्ठ कवि प्रेम विज ने कस्तूरबा की महिमा को शब्दों में पिरोते कहा कि वह गांधी जी की सहचरी ही नहीं, उन की प्रेरणा स्रोत भी थीं, डॉ अनीश गर्ग ने चिरपरिचित अंदाज में पंक्तियां रखीं कि मां जानकी सा किरदार निभाया कस्तूरबा ने…वतन की खातिर सर्वस्व लुटाया कस्तूरबा ने…अपनों का मोह त्यागना पड़ता है, वतन का मोह सर्वोपरि, ये बताया कस्तूरबा ने, कवियत्री प्रज्ञा शारदा ने कस्तूरबा को समर्पित पंक्तियां पढ़ीं कि शुभ दिन आज ये आया है, ‘बा’ की यादों को लाया है, राशि श्रीवास्तव ने कहा कि श्रद्धांजलि सुमन हैं चढ़ाते, बा हम आपके चरणों में धैर्यशील थीं सहनशील थीं, निष्ठावान थीं कर्मों में, सुरेंद्र पाल ने बखूबी पढ़ा कि माँ ने लड्डुओं के साथ/भेजी थी जाने-अनजाने में/एक ख़ास निशानी भी-/लड्डुओं पर अंकित थे/माँ की अंगुलियों के निशान, सुधा मेहता ने कुछ यूं कहा कि बापू की संगिनी, जो रही छाया समान, सेवा की मूरत, भारत की शान, शीनू वालिया धरा ने पढ़ा कि हां थी वो बापू की लाठी, सीधी सच्ची जीवन साथी, कस्तूरी थी मोहन की वो, घर आंगन महकाती रहती,  डा. नीरू मित्तल ने कहा कि नारीत्व की गरिमा हो शिरोमणि तुम आभा स्वतंत्रता सेनानी विशाल हृदया माँ कस्तूरबा, एमएल अरोड़ा आज़ाद ने पढ़ा कि क्या बंदेया जात है तेरी, तू की जाने तू कौन, दुनिया को जो समझ गया, रहता बिल्कुल मौन, युवा कवि मिकी पासी ने कहा कि इस मलिन राजनीति ने बोया नफ़रत का बूटा है, जिससे भाईचारे का पावन सा रिश्ता टूटा है, सोमेश गुप्ता और साहिब नूर ने जगजीत सिंह की गजल से कार्यक्रम में अलग रंग भरते हुए गाया कि तुम को देखा तो ये ख्याल आया जिंदगी धूप तुम घना साया। इस कार्यक्रम में किरण आहूजा, राज विज, विमला गुगलानी, दलजीत कौर, परमिंदर सोनी, हरेंद्र सिन्हा, सुरजीत सिंह धीर, राजेश गणेश, आर के भगत, जगतार सिंह जोग, मनोरमा ने अपने विचार रखे। वरिष्ठ इतिहासकार प्रोफेसर एम एम जुनेजा ने कस्तूरबा गांधी पर प्रेरक वकत्वय रखा। संस्था के सचिव तेजिंदर बिट्टू ने आये हुए अतिथियों का आभार व्यक्त किया।

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