Governor Shiv Pratap Shukla highlighted literature’s depth at Rajya Samman Samaroh in Gaiety Theatre.
राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने आज गेयटी थियेटर में हिमालय साहित्य संस्कृति एवं पर्यावरण मंच द्वारा आयोजित राज्य सम्मान समारोह की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि दो वर्ष पूर्व उन्हें पांच महिला साहित्यकारों को साहित्य पुरस्कार वितरित करने तथा रिज पर राष्ट्रीय पुस्तक मेले में आने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। उन्होंने कहा कि यद्यपि उन्हें साहित्य का बहुत कम ज्ञान है, फिर भी वे साहित्य से जुड़े रहना पसंद करते हैं, क्योंकि साहित्यकार कल्पना और भावनाओं को अभिव्यक्ति देता है तथा सामान्य या प्रत्यक्ष से परे गहन यथार्थ का वर्णन करता है।
राज्यपाल ने कहा कि हिमालय मंच एक ऐसा संगठन है, जो पिछले 15 वर्षों से बच्चों, वरिष्ठ नागरिकों के साथ-साथ दिव्यांग लेखकों को उनकी रचनाओं के लिए सम्मानित कर रहा है तथा साहित्य को बढ़ावा देने के लिए स्कूलों और कॉलेजों में जाकर पुस्तक मेले और साहित्यिक उत्सवों का आयोजन कर रहा है। हिमालय मंच द्वारा बच्चों के लिए आयोजित कार्यक्रमों का उद्देश्य बच्चों को साहित्य के प्रति प्रेरित करना है, ताकि उनकी रचनात्मक क्षमता का विकास हो सके।
उन्होंने कहा कि कालका-शिमला हेरिटेज रेलवे लाइन का सर्वेक्षण करने वाले भलकू की स्मृति में मजदूर वर्ग को समर्पित साहित्य रेल यात्रा इस मंच द्वारा शुरू किया गया एक अनूठा कार्यक्रम है।
उन्होंने कहा कि एसआर हरनोट स्वयं एक प्रसिद्ध लेखक होने के साथ-साथ एक साहित्यकार और समाजसेवी भी हैं। ऐसे बहुत कम लेखक हैं जो अपनी रचनाओं से दूसरों के रचनात्मक कार्यों को प्रोत्साहित करते हैं। वह उनके सभी साहित्यिक कार्यों के लिए उन्हें बधाई देते हैं।
साहित्य को समाज का प्रतिबिम्ब कहा गया है। अच्छा साहित्य हमारे विचारों को सकारात्मक बनाता है और समाज को बेहतर दिशा प्रदान करता है। लेकिन आज मोबाइल और इंटरनेट के अत्यधिक उपयोग के कारण हमारे युवाओं की साहित्य पढ़ने और लिखने की आदत लगभग समाप्त हो गई है।
पुस्तकें पढ़ने की संस्कृति कम होती जा रही है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा हमारे समाज और विशेषकर युवा पीढ़ी में नशे की लत बढ़ती जा रही है। ये युवा देश का भविष्य हैं और उन्हें नशे की लत से बाहर निकालने में रचनात्मक साहित्य महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। साहित्य उनकी सोच और उनके बौद्धिक स्तर में आवश्यक परिवर्तन ला सकता है।
उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि शैक्षणिक पाठ्यक्रमों के साथ-साथ स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में समय-समय पर साहित्यिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएं। उन कार्यक्रमों में छात्रों को शामिल करें ताकि उनके अंदर आत्मविश्वास और रचनात्मक क्षमता विकसित हो और वे नशे की ओर न जाएं। इसलिए यह बहुत जरूरी है कि राज्य में नियमित रूप से पुस्तक मेलों का आयोजन किया जाए ताकि युवाओं की पुस्तकों के प्रति रुचि बढ़े।
उन्होंने साहित्य के प्रति योगदान के लिए साहित्यकार डॉ. हेमराज कौशिक, जगदीश बाली और डॉ. सत्यनारायण स्नेही को सम्मानित किया।
हिमालयन साहित्य संस्कृति एवं पर्यावरण मंच के अध्यक्ष एसआर हरनोट ने साहित्य को बढ़ावा देने और युवा साहित्यकारों को प्रेरित करने के लिए मंच द्वारा की जा रही गतिविधियों पर प्रकाश डाला।
इस अवसर पर श्री शंकराचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय कालड़ी, केरल के वरिष्ठ प्रोफेसर और अन्य साहित्यकार भी मौजूद थे।