मीत हेयर ने संसद में उठाया किसानों का मुद्दा, मोदी सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप

Sangrur MP Meet Hayer criticizes Modi government for neglecting farmers and ignoring Dallewal’s hunger strike.

संगरूर से लोकसभा सांसद गुरमीत सिंह मीत हेयर ने सोमवार को संसद में किसानों का मुद्दा जोरदार तरीके से उठाया और नरेंद्र मोदी सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि किसानों को राष्ट्रीय राजधानी में आने से रोका जा रहा है और वरिष्ठ किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल 21 दिनों से भूख हड़ताल पर हैं, लेकिन सरकार को इसकी जरा भी चिंता नहीं है।

मीत हेयर ने कहा कि जब किसानों को काले कानूनों को रद्द करवाने के लिए आंदोलन करना पड़ा था, उस दौरान 700 किसान शहीद हो गए थे और उन्हें लिखित में एमएसपी गारंटी का वादा किया गया था, लेकिन उसे अभी तक पूरा नहीं किया गया है। जगजीत सिंह दल्लेवाल अपने निजी हितों के लिए नहीं, बल्कि देश के किसानों के लिए खनौरी बॉर्डर पर बैठे हैं। सरकार ने जहां चंद सौ उद्योगपतियों का 10 लाख करोड़ रुपये माफ कर दिया है, वहीं आधी आबादी वाले किसानों का कर्ज माफ नहीं किया जा रहा है।

सांसद ने आगे कहा कि भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, लेकिन वास्तविक स्थिति यह है कि हम प्रति व्यक्ति आय में 141वें नंबर पर हैं और 140 करोड़ की आबादी में से केवल 10 प्रतिशत लोग ही 25,000 रुपये प्रति माह से अधिक कमाते हैं और 90 प्रतिशत लोग 25,000 रुपये से कम कमाते हैं। इनमें से बड़ी संख्या किसानों की है, जिनसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वादा किया था कि 2014 में सरकार बनने के बाद उनकी आय दोगुनी कर दी जाएगी।

मीत हेयर ने आगे कहा कि पंजाब में ऐसा कोई गांव नहीं है जहां देश की सीमाओं की रक्षा करने वाले नौजवानों के शव तिरंगे में लिपटे हुए न मिले हों। स्वतंत्रता संग्राम में 80 प्रतिशत बलिदान पंजाब के किसानों ने दिया था और देश को आत्मनिर्भर बनाने में भी हमारे किसानों का बहुत बड़ा योगदान है। आज पंजाब के किसानों को राजधानी में आने की इजाजत नहीं है, जबकि वे पैदल ही कम संख्या में आना चाहते हैं, लेकिन सरकार तानाशाही तरीके से व्यवहार कर रही है। आज दोनों राज्यों के बीच की सीमा को अंतरराष्ट्रीय सीमा बना दिया गया है।

मीत हेयर ने सरकार से अनुरोध किया कि लिखित वादा पूरा किया जाए और किसानों को एमएसपी की गारंटी दी जाए। इससे पहले 700 किसान अपनी जान दे चुके हैं और अब किसी और किसान की जान नहीं जानी चाहिए और उन्हें उनका हक मिलना चाहिए।

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