राजनीति के पुरोधा चौधरी ओम प्रकाश चौटाला से जुड़ी यादें

Chaudhary Om Prakash Chautala’s demise at 89 is an immense loss to Indian politics and farmers.

हरियाणा की राजनीति के पुरोधा , किसान व कमेरा वर्ग के मसीहा चौधरी ओम प्रकाश चौटाला के निधन का समाचार बेहद दुखदाई है। न केवल हरियाणा में बल्कि पूरे देश में उनके चाहने वालों में मायूसी छा गई है। सभी लोग मीडिया के माध्यम से व दिवंगत आत्मा के पास पहुंचकर भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। 89 वर्ष की आयु में उनका दुनिया से चले जाना राष्ट्रीय राजनीति की अपूरणीय क्षति है।

चौधरी ओम प्रकाश चौटाला का जन्म एक जनवरी 1935 में हरियाणा के आखिरी छोर पर बसे सिरसा जिला के चौटाला गांव में हुआ। अपने पिता चौधरी देवीलाल के पद चिन्हों पर चलते हुए उन्होंने बचपन से ही राजनीतिक गतिविधियों में रुचि दिखाते हुए देश की स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए भी काम किया। चौधरी ओम प्रकाश चौटाला पहली बार 1970 में ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए। इसके बाद सांसद और विधायकी  के चुनाव लड़े।
तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के न चाहते हुए उनका बार-बार मुख्यमंत्री बनना उन्हें एक अनथक योद्धा बनता है। अंतिम बार उन्होंने 1999 में मुख्यमंत्री के रूप में राज्य की बागडोर संभाली और लगातार 5 साल मुख्यमंत्री रहे। इस दौरान उन्होंने अपनी पार्टी का विस्तार करने के लिए उत्तर प्रदेश और राजस्थान के चुनाव में एंट्री की और दलबल के साथ चुनाव लड़े। हालांकि इन चुनाव में उन्होंने सफलता हासिल नहीं की लेकिन राष्ट्रीय राजनीति में अपनी जगह बनाने में कामयाब रहे ।
वर्ष 1999 से 2004 तक अपने कार्यकाल में प्रदेश में अनेक कल्याणकारी योजना लागू की और प्रदेश के लोगों की समस्याएं सुनने व निवारण करने के लिए उनके घर द्वार पर जाकर सरकार आपके द्वार कार्यक्रम शुरू किया। जिनमे वे प्रदेश के लोगों की समस्याओं का मौके पर ही समाधान करते थे।
मुझे स्वयं चार साल तक उनके मातहत यानी उनके कार्यकाल में सिरसा में जनसंपर्क अधिकारी के रूप में काम करने का मौका मिला और चौधरी ओमप्रकाश चौटाला को बहुत ही नजदीक से जानने का अवसर प्राप्त हुआ। चौधरी ओमप्रकाश चौटाला का हाजिर जवाबी में कोई मुकाबला नहीं था कई बार तो मीडिया के सामने कह देते थे कि वे किसी अन्य का सवाल उनके मुंह में ना डालें, जिससे मीडिया के लोग भी नाराज नहीं होते थे।
वे समय के बहुत ही पाबन्द थे। जब वे  गांवों का दौरा करते थे तो सुबह सात बजे ही तैयार होकर कार्यक्रम शुरू कर देते थे। वे कार्यकर्ताओं से तो बहुत नजदीकियां रखते थे। यहां तक कि उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं को नाम लेकर बुलाते थे। कार्यकर्ता भी उनके इस अंदाज के कायल थे। इसी प्रकार जब गांव को दौरा करते थे तो अधिकारियों को भी उतना ही मान सम्मान देते हुए उन्हें नाम से बुलाते थे।  अच्छा काम करने वाले अधिकारियों को रिवॉर्ड देते थे और कामचोर अधिकारियों को सजा देना भी उनकी कार्यप्रणाली में समय था। इसलिए अधिकारी उत्साहित होकर उनके साथ कार्य करते थे। वे हरियाणा के हर वर्ग के लोगों की भाषा, बोली और लहजा बखूबी समझते थे।
एक बार 1999 में जब जींद जिला के अलावा गांव में “सरकार आपके द्वार कार्यक्रम” के तहत लोगों की समस्या सुन रहे थे, तो उसी कार्यक्रम में एक बुजुर्ग ने अलेवा से नजदीकी गांव तक सड़क बनवाने की मांग रखी। बुजुर्ग ने अपने लहजे में कहा कि “चौधरी साहब या सड़क बणवादो तो लोग आपके गीत गावैगें और नहीं बणवाई तो लोग आपसे करड़े नाराज होंवैगे।” उनकी यह बात सुनकर चौधरी ओम प्रकाश चौटाला ने कार्यक्रम में बैठे लोक निर्माण विभाग के कार्यकारी अभियंता से कहा कि एक्शन साहिब इस सड़क को जल्दी से जल्दी बनवा देना। इस प्रकार से वह सड़क बनी।
उस समय मैं स्वयं भी जींद में कार्यरत होते हुए यह कार्यक्रम कवर कर रहा था। कहने का मतलब है कि वह मौके पर ही अधिकारियों को निर्देश देकर लोगों का दिल जीत लेते थे। अपने भाषण के माध्यम से वे जनसंचार करने में तो इतने माहिर थे कि उनका भाषण विरोधी पार्टियों के लोग भी दूर-दूर से सुनने के लिए उनके कार्यक्रम में आते थे। उस समय कई दिन तक लोग उनके भाषणों को दोहराते रहते हैं। उनकी पार्टी के सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं का भी यही प्रयास रहता था कि वे उन्हीं की भाषा, बोली और लहजे में लोगों से अपने आप को कनेक्ट करें। लेक्चर, स्पीच और भाषण कला में तो चौटाला साहब का नाम देश के चुनिंदा वक्ताओं में लिया जाता है।
जीवन के अंतिम दौर, में वे अपने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए अपने आप को एक योद्धा के रूप में प्रस्तुत करते थे। लंबे समय तक जेल में रहने के बाद भी उनमें हरियाणा के विकास और जनकल्याण की तड़फ‌ थी । चौधरी ओम प्रकाश चौटाला एक बहुत ही सुलझे हुए राजनीतिज्ञ और जुबान के धनी थे। चौधरी ओम प्रकाश चौटाला आज हमारे बीच नहीं है। 89 साल की उम्र में वह इस दुनिया को छोड़कर चले गए ।आज प्रदेश का बच्चा-बच्चा उनको अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि दे रहा है। परमपिता परमेश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें।
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