हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र के चौथे दिन छ: विधेयक पारित किए गए

हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र के चौथे दिन चर्चा उपरांत छ: विधेयक पारित किए गए। इनमें हरियाणा विनियोग (संख्या 3) विधेयक, 2024, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (हरियाणा संशोधन) विधेयक, 2024, हरियाणा माल एवं सेवा कर (संशोधन) अधिनियम, 2024, हरियाणा कृषि भूमि पट्टा विधेयक, 2024, हरियाणा विस्तार प्राध्यापक तथा अतिथि प्राध्यापक (सेवा की सुनिश्चितता),विधेयक, 2024 तथा हरियाणा तकनीकी शिक्षा अतिथि संकाय (सेवा की सुनिश्चितता), विधेयक, 2024 शामिल हैं।

 

हरियाणा विनियोग (संख्या 3) विधेयक, 2024

यह अधिनियम हरियाणा विनियोग (संख्या 3) अधिनियम, 2024 कहा जाएगा। इस अधिनियम द्वारा राज्य की संचित निधि में से भुगतान की जाने और उपयोग में लाई जाने वाली राशियों का विनियोग उन्हीं सेवाओं और प्रयोजनों के लिए किया जाएगा, जो मार्च, 2025 के इकतीसवें दिन को समाप्त होने वाले वित्त वर्ष के सम्बन्ध में बताए गए हैं।

यह विधेयक भारत के संविधान के अनुच्छेद 204 (1) तथा 205 के अनुसरण में वित्त वर्ष 2024-25 के खर्च के लिए विधान सभा द्वारा किए गए अनुपूरक अनुदानों को पूरा करने के लिए हरियाणा राज्य की संचित निधि में से 8591,38,87,000 रुपये की अपेक्षित राशि के भुगतान और विनियोग हेतु उपबंध करने के लिए पारित किया गया है।

 

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (हरियाणा संशोधन) विधेयक, 2024

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023, हरियाणा राज्यार्थ को संशोधित करने के लिए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (हरियाणा संशोधन) विधेयक, 2024 पारित किया गया।

 केन्द्र सरकार ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (2023 का केन्द्रीय अधिनियम 46) अधिनियमित किया है जो 1 जुलाई, 2024 से लागू हो गया है। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 23 (2) के तहत, प्रथम वर्ग के मजिस्ट्रेट का न्यायालय तीन साल से कम समय अवधि के कारावास या पचास हजार रुपये से अनधिक के जुर्माने या दोनों या सामुदायिक सेवा की सजा दे सकती है। इसके अलावा, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 23(3) के तहत, द्वितीय वर्ग के मजिस्ट्रेट का न्यायालय एक साल से कम समय अवधि के कारावास या दस हजार रुपये से अनधिक के जुर्माने या दोनों या सामुदायिक सेवा की सजा दे सकता है। कुछ अधिनियमों के तहत जैसे परक्राम्य लिखित अधिनियम, 1881, जिसके तहत चेक बाउंस मामलों में शामिल राशि जुर्माने से बहुत अधिक हो सकती है, में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 23 (2) और 23 (3) के तहत निर्धारित जुर्माने की अधिकतम सीमा के कारण जुर्माना लगाने का उद्देश्य प्राप्त नहीं किया जा सकता है। इसके अलावा, यातायात नियमों के उल्लंघन के लिए, मोटर वाहन अधिनियम के तहत जुर्माना बढ़ाया गया है। उपरोक्त प्रावधानों के तहत जुर्माने की अधिकतम सीमा भी सजा के अनुरूप नहीं है जो उपरोक्त प्रावधानों के तहत लगाई जा सकती है। इसलिए, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 23 (2) और 23 (3) के तहत निर्धारित जुर्माने की सीमा को बढ़ाना आवश्यक हो गया है।

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (हरियाणा संशोधन) विधेयक, 2024 जो कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 23 (2) और 23 (3) के तहत प्रथम वर्ग और द्वितीय वर्ग के मजिस्ट्रेट द्वारा लगाए जा सकने वाले जुर्माने की सीमा को बढ़ाने और उससे जुड़े या उसके अनुषंगिक मामलों के लिए आवश्यक है।

 

हरियाणा माल एवं सेवा कर (संशोधन) अधिनियम, 2024

हरियाणा माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 को संशोधित करने के लिए हरियाणा माल एवं सेवा कर (संशोधन) अधिनियम, 2024 पारित किया गया।

हरियाणा माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 (अधिनियम) को राज्य सरकार द्वारा माल या सेवाओं या दोनों की अंत:राज्य प्रदाय पर कर लगाने और संग्रह के प्रावधान के दृष्टिकोण के साथ अधिनियमित किया गया था।

जीएसटी परिषद की सिफारिशों के आधार पर और उसके अंतर्गत तथा वित्त अधिनियम, 2024 (2024 का केन्द्रीय अधिनियम 8) और वित्त अधिनियम (सं0 2), 2024 (2024 का केन्द्रीय अधिनियम 15) के द्वारा केन्द्रीय माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 में किए गए संशोधनों की तर्ज पर हरियाणा माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 में संशोधन का प्रस्ताव है।

मानव उपभोग के लिए अल्कोहल युक्त शराब के विनिर्माण में प्रयुक्त विकृत अतिरिक्त निष्प्रभावी अल्कोहल या परिशोधित स्पिरिट पर राज्य कर न लगाया जा सके के लिए अधिनियम की धारा 9 की उपधारा (1) में संशोधन किया जाना। अधिनियम में एक नई धारा 11 क का रखा जाना ताकि सरकार को राज्य कर के गैर-उद्ग्रहण या कम उद्ग्रहण को नियमित करने के लिए सशक्त बनाया जा सके, जहां वह संतुष्ट हो कि ऐसा गैर-उद्ग्रहण या कम उद्ग्रहण सामान्य व्यवहार का परिणाम था। अधिनियम की धारा 13 की उपधारा (3) में संशोधन करना ताकि उन मामलों में सेवाओं की प्रदाय का समय निर्दिष्ट किया जा सके जहां रिवर्स चार्ज आपूर्ति में सेवाओं के प्राप्तिकर्ता द्वारा बीजक जारी किया जाना अपेक्षित है।

अधिनियम की धारा 16 में एक नई उप-धारा (5) का रखा जाना ताकि विद्यमान उप-धारा (4) के लिए एक अपवाद बनाया जा सके और यह उपबंध किया जा सके कि वित्तीय वर्ष 2017-18, 2018-19, 2019-20 और 2020-21 के लिए बीजक या नामे नोट के संबंध में रजिस्ट्रीकृत व्यक्ति धारा 39 के अंतर्गत किसी भी विवरणी में इनपुट कर प्रत्यय लेने का हकदार होगा, जो 30 नवंबर, 2021 तक दाखिल किया जाता है। इनपुट सेवा वितरक द्वारा प्रत्यय के वितरण के तरीके से संबंधित अधिनियम की धारा 20 को प्रतिस्थापित किया जाना। अधिनियम की धारा 39 की उप-धारा (3) को प्रतिस्थापित किया जाना ताकि स्रोत पर कर कटौती करने के लिए रजिस्ट्रीकृत व्यक्ति द्वारा प्रत्येक माह के लिए विवरणी को इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रस्तुत करना अनिवार्य बनाया जा सके, भले ही उक्त माह में कोई कटौती की गई हो या नहीं।

अधिनियम की धारा 73 में एक नई उप-धारा (12) का रखा जाना ताकि वित्तीय वर्ष 2023-24 तक की अवधि से संबंधित कर के निर्धारण के लिए उक्त धारा के लागू होने को निर्बंधित किया जा सके और तदनुसार उक्त धारा के उपांतिक शीर्षक को संशोधित किया जाना। अधिनियम की धारा 74 में एक नई उप-धारा (12) का रखा जाना ताकि वित्तीय वर्ष 2023-24 तक की अवधि से संबंधित कर के निर्धारण के लिए उक्त धारा के लागू होने को निर्बंधित किया जा सके और तदनुसार उक्त धारा के उपांतिक शीर्षक को संशोधित किया जाना। अधिनियम में एक नई धारा 74क का रखा जाना ताकि वित्तीय वर्ष 2024-25 से आगे के लिए भुगतान न किए गए कर या कम भुगतान किए गए कर या गलत तरीके से प्रतिदाय किए गए कर या किसी भी कारण से गलत तरीके से प्राप्त या उपयोग किए गए इनपुट टैक्स क्रेडिट के निर्धारण का प्रावधान किया जा सके।

अधिनियम की धारा 107 की उपधारा (6) में संशोधन किया जाना ताकि अपील प्राधिकारी के समक्ष अपील दायर करने के लिए पूर्व जमा की अधिकतम राशि को राज्य कर में पच्चीस करोड़ रुपये से घटाकर बीस करोड़ रुपये किया जा सके। अधिनियम की धारा 112 की उप-धारा (1) और (3) को संशोधित करना ताकि सरकार को अपील अधिकरण के समक्ष अपील फाइल करने के लिए तारीख अधिसूचित करने हेतु और अपीलें या आवेदन फाइल करने के लिए पुनरीक्षित समय-सीमा का उपबंध करने के लिए सशक्त किया जा सके। किसी व्यक्ति द्वारा विशेष प्रक्रिया के अनुसार माल के विनिर्माण में प्रयुक्त कुछ मशीनों को पंजीकृत न कराने पर शास्ति का प्रावधान करने के लिए अधिनियम में एक नई धारा 122क का रखा जाना।

अधिनियम में एक नई धारा 128क का रखा जाना ताकि वित्तीय वर्ष 2017-18, 2018-19 और 2019-20 के लिए उक्त अधिनियम की धारा 73 के अधीन जारी त्रुटिवश प्रतिदाय के संबंध में मांग सूचनाओं के सिवाय जारी मांग नोटिसों के संबंध में ब्याज और जुर्माने की सशर्त छूट प्रदान की जा सके। अधिनियम की धारा 171 की उपधारा (2) का संशोधन किया जाना, जिससे सरकार को उस तारीख को अधिसूचित करने के लिए सशक्त बनाया जा सके, जिससे उक्त धारा के अधीन प्राधिकारी मुनाफाखोरी निरोधी मामलों के लिए कोई आवेदन स्वीकार नहीं करेगा। अधिनियम की प्रासंगिक धाराओं को संशोधित किया गया ताकि नई रखी गई धारा 74क का संदर्भ सम्मिलित किया जा सके।

 

हरियाणा कृषि भूमि पट्टा विधेयक, 2024

कृषि भूमि को पट्टे पर देने की मान्यता के लिए एक तंत्र प्रदान करने हेतु, कृषि भूमि को पट्टे पर देने की अनुमति देने, उसे सुगम बनाने, भूमि स्वामियों के अधिकारों को संरक्षित करने हेतु और उससे संबंधित या उसके आनुषंगिक मामलों के लिए उपबंध करने हेतु हरियाणा कृषि भूमि पट्टा विधेयक, 2024 पारित किया गया।

कृषि भूमि को पट्टे पर देने के लिए प्रक्रिया तथा औपचारिक मान्यता देने, कृषि भूमि को पट्टे पर देने की अनुज्ञा देने तथा सुकर बनाने हेतु, निष्पक्षता सुनिश्चित करने तथा उसके द्वारा कृषि दक्षता को सुधारने हेतु, पट्टे पर कृषि भूमि की जुताई करने वाले किसानों को मान्यता देने, जो क्रेडिट सस्थाओं, बीमा, आपदा राहत तथा भू-स्वामियों के स्वामित्व अधिकारों को संरक्षित करते समय सरकार द्वारा उपलब्ध करवाई गई अन्य सहायक सेवाओं के माध्यम से ऋण के लिए उन्हें समर्थ बनाने हेतु तथा उससे संबंधित और उससे आनुषंगिक मामलों के लिए उपबन्ध करने हेतु विधेयक है। कृषि भूमि, भू-स्वामी द्वारा पट्टे पर दी जाती है। इस आंशका के कारण कि पट्टेदार कब्जा अधिकारों की मांग कर सकता है, पट्टाकर्ता अक्सर सामान्यता: प्रति वर्ष पट्टेदार बदल देता है या उसे बंजर रख देता है, जिससे कृषि उत्पादन को हानि होती है।

उपरोक्त वर्णित तथ्यों के कारण, पट्टाकर्ता अपनी भूमि को लिखित रूप में पट्टे पर देने में संकोच करता है और पट्टेदार के साथ अलिखित समझौते को प्राथमिकता देता है। इसके परिणामस्वरूप, पट्टेदार प्राकृतिक आपदा के समय केंद्र अथवा राज्य सरकार से मिलने वाली किसी राहत राशि को पाने से वंचित कर दिया जाता है तथा फसल ऋण लेने में अक्षम है।  भूमि संसाधनों के अधिकतम उपयोग करने तथा पट्टाकर्ता व पट्टेदार दोनों के हितों की रक्षा करने हेतु, पट्टा-राशि पर भूमि देने की कानूनी व्यवस्था आवश्यक प्रतीत होती है।

 

हरियाणा विस्तार प्राध्यापक तथा अतिथि प्राध्यापक (सेवा की सुनिश्चितता), विधेयक, 2024

विस्तार प्राध्यापकों तथा अतिथि प्राध्यापकों की सुनिश्चितता हेतु और उससे संबंधित या उसके आनुषंगिक मामलों के लिए उपबंध करने हेतु हरियाणा विस्तार प्राध्यापक तथा अतिथि प्राध्यापक (सेवा की सुनिश्चितता), विधेयक, 2024 पारित किया गया।

 वर्तमान में, 184 राजकीय महाविद्यालय हैं जिनमें लगभग 02 लाख छात्र स्नातक और स्नातकोतर स्तर पर उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। इन महाविद्यालयों में विभिन्न विषयों में सहायक प्रोफेसर के 8137 पद स्वीकृत हैं जिनके विरुद्ध 3348 नियमित सहायक एसोसिएट/ प्रोफेसर कार्यरत हैं। राज्य में स्कूलों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने की एक प्रगतिशील नीति है जो इस तथ्य से स्पष्ट है कि नियमित सहायक प्रोफेसर (कालेज कैडर), एच0-ई0-एस0-॥ समूह-बी के 2424 शिक्षण पदों को भरने के लिए एक मांग पत्र हरियाणा लोक सेवा आयोग को भेजा जा चुका है। वर्तमान में, विभिन्न राजकीय महाविद्यालयों में लगभग 2016 एक्सटेंशन लेक्चरर व 46 गेस्ट लेक्चरर कार्य कर रहे हैं। एक्सटेंशन लैक्चरर की नियुक्ति वर्ष 2010 में शुरू की गई थी उस समय उन्हें 200 रुपये प्रति पीरियड के आधार पर भुगतान किया जाता था और वर्तमान अतिथि व्याख्यता वर्ष 2014 से पूर्व से कार्य कर रहे हैं जोकि नियमितीकरण नीति 16 जून, 2014 के तहत नियमित नहीं हुए थे। इन वर्षों में, उनके पारिश्रमिक और अन्य सलंग्नता शर्तों में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए गए। योग्य एक्सटेंशन लैक्चरर और अतिथि व्याख्याताओं को समान काम समान वेतन के आधार पर 57,700 प्रति माह पारिश्रमिक दिया जाता है। वे आग्रहपूर्वक अपील कर रहे हैं कि राजकीय महाविद्यालयों में उनकी लम्बी सेवा को ध्यान में रखते हुए उनकी सेवाओं की सुरक्षा पर कुछ आश्वासन दिया जाए। राजकीय महाविद्यालयों में शिक्षण कार्यभार में साल दर साल आधार पर लगातार वृद्धि देखी गई है और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी, 2020) के कार्यान्वयन के मद्देनजर यह प्रवृति जारी रहेगी। इसलिए इन एक्सटेंशन लैक्चरर तथा अतिथि व्याख्याताओं को 58 वर्ष की आयु तक की सुरक्षा के साथ-साथ सुनिश्चित वित्तीय प्रोत्साहन भी प्रदान किया जाए क्योंकि यह छात्रों के हित में है और कुछ एक्सटेंशन लैक्चरर और अतिथि व्याख्याताओं ने भर्ती के लिए आवेदन करने के लिए न्यूनतम आयु सीमा पार कर ली है।

हरियाणा तकनीकी शिक्षा अतिथि संकाय (सेवा की सुनिश्चितता), विधेयक, 2024

अतिथि संकाय/अनुदेशकों की सेवा की सुनिश्चितता हेतु और उससे संबंधित या उसके आनुषंगिक मामलों के लिए उपबंध करने हेतु हरियाणा तकनीकी शिक्षा अतिथि संकाय (सेवा की सुनिश्चितता), विधेयक, 2024 पारित किया गया।

हरियाणा सरकार राज्य में कार्यरत अतिथि प्राध्यापकों/अनुदेशकों/सहायक प्राचार्यों के लिए, जोकि विभिन्न राजकीय बहुतकनीकी संस्थान/राजकीय सोसाइटी बहुतकनीकी संस्थान एवं राजकीय अभियांत्रिकी एवं तकनीकी संस्थानों में लम्बे समय से अपनी सेवायें दे रहे है, उनको सेवा सुरक्षा के लिए नीति तैयार करना चाहती है। इन अतिथि प्राध्यापकों /अनुदेशकों/ सहायक प्राचार्यों ने अपने जीवन के बहुमूल्य वर्ष राज्य की सेवा में लगाए है और उनके मन में भविष्य को लेकर काफी अनिश्चितता व्याप्त है क्योंकि इनमें से कुछ की आयु हरियाणा सरकार के सेवा नियमों के लिए निर्धारित आयु सीमा से अधिक हो चुकी है। ऐसे में इन अतिथि संकायों को भार मुक्त करना या नवनियुक्त संकायों से बदलना न्याय संगत नहीं लगता है।

 

अत: इन अतिथि संकायों के द्वारा दिए गए अनुरोध पत्रों को संज्ञान में लेते हुए राज्य सरकार इनको सेवा सुरक्षा प्रदान करना चाहती है जो कि लम्बे समय से विभाग में सेवाएं दे रहे हैं ताकि इनको भविष्य की अनिश्चितता एवं मानसिक अवसाद से राहत मिल सके।

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