सरकार बिना तय समयसीमा के चल रही बिजली परियोजनाओं को अपने नियंत्रण में लेने के लिए कानूनी सलाह लेगी: मुख्यमंत्री

Himachal Pradesh emerges as a global hydel power hub, hosting Dam Safety Conference 2025.

मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने आज यहां बांध सुरक्षा पर आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश में अपार जल विद्युत क्षमता के कारण जल विद्युत अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में विश्व स्तर पर केन्द्र बिन्दु बन रहा है। यह सम्मेलन 22 मार्च, 2025 तक जारी रहेगा।

उन्होंने कहा कि राज्य में विद्युत उत्पादन का मुख्य स्रोत नदियों का पानी है, लेकिन प्रारम्भिक वर्षों में विद्युत उत्पादन कम्पनियों को लाइसेंस जारी करने के लिए कोई समय-सीमा निर्धारित नहीं की गई थी, जो कि सामान्यतः 35 से 40 वर्ष होती है, जिसके कारण राज्य को भारी नुकसान उठाना पड़ा। उन्होंने कहा कि अभी भी अनेक ऐसी विद्युत परियोजनाएं हैं, जिन्हें राज्य सरकार को सौंपने के लिए कोई समय-सीमा निर्धारित नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि सरकार इन परियोजनाओं को वापिस लेने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रही है तथा इस सम्बन्ध में कानूनी सलाह ली जा रही है। उन्होंने कहा कि यदि आवश्यकता पड़ी तो ऐसी सभी परियोजनाएं, जिनमें राज्य सरकार के हितों की पूर्ण रूप से अनदेखी की गई है, निकट भविष्य में सरकार द्वारा अपने अधीन ले ली जाएंगी।

सुखू ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के लोगों ने राष्ट्रहित में तथा राष्ट्र के विकास के लिए अनेक जल विद्युत परियोजनाओं की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान दिया है तथा भाखड़ा बांध और पौंग बांध के निर्माण के दौरान अनेक लोग विस्थापित हुए थे, जो आज भी अपने पुनर्वास अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि वर्तमान राज्य सरकार इन बांधों के निर्माण के कारण प्रभावित ऐसे परिवारों की शिकायतों के समाधान के लिए हर संभव कदम उठाएगी।

 

 

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि हिमाचल प्रदेश के लोगों को बिजली क्षेत्र में अपना हिस्सा पाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ रहा है।

उन्होंने कहा कि एक ओर जहां जलाशयों में प्रचुर मात्रा में पानी होने से समृद्धि आती है, वहीं बरसात के मौसम में बांधों का पानी छोड़े जाने पर निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को परेशानी होती है। उन्होंने कहा कि बांधों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ ऐसे मुद्दों पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। चूंकि राज्य के लोग 2023 में प्रकृति के प्रकोप का दंश झेल चुके हैं, इसलिए हमें ऐसी आपदाओं से निपटने के लिए पहले से ही तैयार रहना होगा। हिमाचल प्रदेश में बादल फटने की घटनाओं में हाल ही में वृद्धि होने के कारण मुख्यमंत्री ने बांध अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे अतिरिक्त पानी छोड़ने से पहले परियोजनाओं के जलग्रहण क्षेत्रों के निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को समय रहते सचेत कर दें।

श्री सुक्खू ने बांधों के निर्माण में गुणवत्ता के साथ-साथ उनके नियमित रखरखाव की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि बांधों का जीवन और सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन और कुछ अन्य कारण हिमालयी क्षेत्र में बांध सुरक्षा के लिए नई चुनौतियां पेश कर रहे हैं और हमें इन चुनौतियों को कम करने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार ने बांधों की निगरानी, ​​निरीक्षण, संचालन और रखरखाव के लिए बांध सुरक्षा अधिनियम लागू किया है, जिसके लिए बांध सुरक्षा समिति का गठन भी किया गया है। यह समिति राज्य के सभी बांधों के रखरखाव और सुरक्षा की देखभाल करेगी।

इस अवसर पर राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी, शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर, तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी, मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना, हिमाचल प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष डी.के. शर्मा और वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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