धर्मक्षेत्र-कुरुक्षेत्र की पावन धरा पंजाब की फुलकारी की भी गूंजी किलकारी

पंजाब की फुलकारी

Haryanavi costumes shine at Gita Mahotsav; Phulkari of Punjab by Lajwanti draws tourists’ admiration.

सिर पर पगड़ी, धोती-कुर्ता, चोली-दामन, घाघरा, सलवार-कुर्ता जैसे हरियाणवी परिधानों की एक अलग ही शान है। इन परिधानों की गूंज देश के साथ-साथ विदेशों में सुनने को मिलती है। इन्हीं परिधानों के बीच हरियाणा के बड़े भाई के नाम से पहचाने जाने वाले पंजाब की फुलकारी कुरुक्षेत्र में चल रहे गीता महोत्सव में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा चुकी है। धर्मक्षेत्र-कुरुक्षेत्र की धरा पर महोत्सव में पहुंची पंजाब की फुलकारी को पर्यटक खूब पसंद कर रहे है। पंजाब के पटियाला से आई लाजवंती ने अपने स्टॉल पर इस पंजाब की फुलकारी को बहुत ही आकर्षक ढंग से सजाया है।

शिल्पकार अमित ने बताया कि इस शिल्पकला के लिए उनके परिवार को राष्ट्रीय पुरस्कार पद्मश्री भी मिल चुका है। उनके स्टॉल में फुलकारी आर्ट के दुप्पटे, साड़ी, कुर्ती, प्लाजो सूट-सलवार सहित अन्य परिधान भी मौजूद है। उनके यह परिधान देश के साथ-साथ विदेशों में खूब पसंद किए जाते है। उनका दिल्ली मार्ट में स्वयं की दुकान भी है, जो कि लाजवंती के नाम से काफी प्रसिद्ध है। इस दुकान के माध्यम से उनके साथ अन्य लोग भी जुड़े हुए है, जिन्हे उनके द्वारा रोजगार प्रदान किया गया है। महोत्सव में वह पिछले 26 सालों से आ रही है। उनके स्टॉल पर मौजूद परिधानों की कीमत 750 रुपए से लेकर 3 हजार रुपए तक है।

उन्होंने कहा कि उनके द्वारा जार्जेट के कपड़े पर टिपिकल फुलकारी करके उसे बहुत बड़े अनोखे ढंग से पेश किया गया है। यह शिल्पकारी पर्यटकों को काफी पसंद आई है। उनके स्टॉल पर हर समय पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है, जिससे उनकी काफी सेल हो रही है। उनके द्वारा देश के विभिन्न मेलों में अपनी स्टॉल लगाई जाती है, लेकिन जो सकून उन्हें कुरुक्षेत्र की धरा पर आने पर मिलता है, ऐसा अदभुत अनुभव उन्हें ओर कहीं नहीं होता है। कुरुक्षेत्र की इस पावन भूमि पर आकर वह स्वयं को भाग्यशाली समझते है।

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