Punjab Vigilance Bureau arrested 173 individuals for bribery, aiming to curb corruption and raise awareness.
समाज से भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के उद्देश्य से पंजाब विजिलेंस ब्यूरो (वीबी) ने रिश्वत मांगने वालों को पकड़ने और इस सामाजिक कुप्रथा पर अंकुश लगाने के लिए दृढ़ संकल्प के साथ जनता में जागरूकता पैदा करने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाया। इस अवधि के दौरान वीबी ने विभिन्न मामलों में 173 व्यक्तियों को रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा है।
ब्यूरो के मुख्य निदेशक-कम-स्पेशल डीजीपी वरिंदर कुमार ने आज यहां यह जानकारी देते हुए बताया कि ब्यूरो ने वर्ष 2024 के दौरान 134 ट्रैप मामलों में रिश्वत लेते हुए विभिन्न विभागों के 139 अधिकारियों और 34 निजी व्यक्तियों को काबू किया है। भ्रष्टाचार के सभी रूपों के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाते हुए ब्यूरो ने 1 जनवरी से 31 दिसंबर, 2024 तक 10 राजपत्रित अधिकारियों (जीओ) और 129 गैर-राजपत्रित अधिकारियों (एनजीओ) को काबू किया है।
ब्यूरो प्रमुख ने बताया कि वर्ष के दौरान अन्य विभागों के अलावा पंजाब पुलिस के 53, राजस्व विभाग के 33, बिजली के 9, पंचायत एवं ग्रामीण विकास के 3, स्वास्थ्य विभाग के 8, स्थानीय निकाय विभाग के 18, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के 3 कर्मियों को अलग-अलग मामलों में रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों काबू किया गया। इसके अलावा ब्यूरो ने वन विभाग, श्रम, वित्त और परिवहन विभाग के दो-दो कर्मियों को भी रिश्वत के मामलों में काबू किया है।
ब्यूरो के प्रदर्शन के बारे में अधिक जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि विजीलैंस ब्यूरो ने 29 जी.ओ., 117 एन.जी.ओ. तथा 117 निजी व्यक्तियों के विरुद्ध 124 आपराधिक मामले दर्ज किए हैं। इसके अलावा, 26 जी.ओ., 27 एन.जी.ओ. तथा 7 निजी व्यक्तियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच के लिए 60 सतर्कता जांच भी दर्ज की गई हैं। इसके अलावा, 3 एन.जी.ओ. के विरुद्ध आय से अधिक सम्पत्ति के 3 मामले भी दर्ज किए गए हैं।
इसके अतिरिक्त, विजीलैंस ब्यूरो के मामलों का निर्णय करते समय सक्षम न्यायालयों द्वारा दोषसिद्धि के कारण 1 राजपत्रित अधिकारी तथा 1 अराजपत्रित अधिकारी को उनके संबंधित प्रशासनिक विभागों द्वारा उनकी सेवाओं से बर्खास्त किया गया है। उन्होंने आगे बताया कि ब्यूरो वर्ष के दौरान 71 सतर्कता जांचों को पूरा करने में सक्षम रहा है।
डीजीपी वीबी ने विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत ब्यूरो द्वारा दायर और चुनौती दिए गए 41 मामलों में विभिन्न सक्षम अदालतों ने 50 आरोपियों को सजा सुनाई है, जिसमें 3 जीओ, 31 एनजीओ और 16 निजी व्यक्ति शामिल हैं और उन्हें एक साल से लेकर सात साल तक की सजा सुनाई गई है। उन्होंने बताया कि अदालतों ने इन मामलों में 5,000 रुपये से लेकर 5,00,000 रुपये तक का जुर्माना भी लगाया है, जो कुल 22,42,000 रुपये है।
उन्होंने कहा कि सतर्कता ब्यूरो ने सतर्कता जागरूकता सप्ताह के दौरान जागरूकता अभियान प्रभावी ढंग से लागू किया है, जिसमें समाज से भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में सेमिनार और सार्वजनिक बैठकें आयोजित की गईं और ब्यूरो के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को ईमानदारी की शपथ भी दिलाई गई।
उन्होंने आगे बताया कि पिछले वर्ष के दौरान भ्रष्टाचार के मामलों में प्रमुख व्यक्तियों पर मामला दर्ज/गिरफ्तार किया गया है, जिनमें आईएएस अधिकारी विनय बिबलानी, पीसीएस अधिकारी हरप्रीत सिंह सहायक श्रम आयुक्त होशियारपुर, एसीपी निर्देश कौर लुधियाना, कार्यकारी अभियंता रणबीर सिंह और राजिंदर सिंह, डीसीएफए पंकज गर्ग, सीटीपी पंकज बावा, बाजवा डेवलपर्स मोहाली के जरनैल सिंह बाजवा और मेडिकल अधिकारी डॉ. नरिंदर पाल सिंह शामिल हैं।
इसके अलावा लुधियाना, फिरोजपुर और मोहाली में तैनात सभी बीडीपीओ गुरमुख सिंह, सरबजीत सिंह और कुलविंदर सिंह, डीएफएसओ बलदेव राज, तहसीलदार सुखचैन सिंह और लखविंदर सिंह, दीपक बिल्डर्स के दीपक कुमार सिंघल, चीफ इंजीनियर अरविंदर सिंह, परमजीत सिंह और वर्ष के दौरान दोनों कार्यकारी अभियंताओं सरबराज कुमार को भी गिरफ्तार किया गया/उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया।