Hariyaval Punjab Sanstha launches Green Mahashivratri to promote a plastic-free, cancer-free India.
प्रयागराज महाकुम्भ में एक थाली-एक थैली अभियान की सफलता के बाद अब हरियावल पंजाब संस्था ने हरित महाशिवरात्रि जागरूकता अभियान शुरू किया है। इस बाबत आज चंडीगढ़ प्रेस क्लब में पत्रकार वार्ता में जानकारी देते हुए संस्था के प्रान्त संयोजक परवीन कुमार ने बताया कि इस जागरूकता अभियान का वास्तविक उद्देश्य देश को प्लास्टिक मुक्त व कैंसर मुक्त बनाना है। स्वच्छ व स्वास्थ्यवर्धक पर्यावरण के लिए स्थानीय जनता व संत समाज के मार्गदर्शन में विभिन्न सामाजिक, स्वयंसेवी, धार्मिक संगठनों से सम्पर्क कर अपील की जा रही है कि वे महाशिवरात्रि महोत्सव पर लगने वाले लंगरों के दौरान डिस्पोजेबल वस्तुओं का प्रयोग न करें और प्रसाद को स्टील प्लेट में ही वितरित करें। इसका प्रतिसाद काफी उत्साहवर्धक मिल रहा है।
इस अवसर पर उनके साथ प्रान्त धार्मिक संस्थान प्रमुख संदीप कश्यप, गौ सेवा प्रमुख विनोद कुमार, शिक्षा संस्थान प्रमुख डॉ प्रदीप, एनवायरनमेंट नोडल अफसर डॉ सुमन मोर एवं पंचनद शोध संस्थान की स्टीयरिंग कमेटी के प्रमुख राकेश शर्मा मौजूद रहे। प्रवीण कुमार ने बताया कि भगवान शिव पर्यावरण मूर्ति हैं। यह समस्त विश्व भगवान विश्वनाथ की रचना है। आठ प्रत्यक्ष रूपों यानी जल, अग्नि, पृथ्वी, वायु, आकाश, चन्द्र, सूर्य, यजमान-आत्मा में भगवान शिव सबको दिखाई देते हैं। भारतीय दृष्टि से विश्वमूर्ति समस्त जीव जगत तथा इसका पोषण संवर्धन करने वाले प्राकृतिक तत्त्व शिव का प्रत्यक्ष शरीर है। इस प्रकार समस्त चेतन-अचेतन प्राणियों के शिव पिता हैं। जैसे पुत्र-पुत्रियों का भला करने वाले पर पिता प्रसन्न होते हैं। वैसे ही पर्यावरण के उपरोक्त घटकों को हानि से बचाने वाले प्रदूषणमुक्त एवं पोषण देने वालों पर भगवान शंकर प्रसन्न होते है। यदि कोई भी मनुष्य इन आठ मूर्तियों में से किसी का भी अनिष्ट करता है तो वह वास्तव में भगवान शंकर का ही अनिष्ट कर रहा है।
उन्होंने बताया कि प्लास्टिक कचरे से पंच तत्त्वों को बहुत हानियां पहुँचती हैं। खुले में फेंका गया प्लास्टिक बारिश के पानी के साथ बहकर नदियों और झीलों में चला जाता है, जिससे पानी दूषित हो जाता है। प्लास्टिक कचरा सीवरेज निकासी में बाधा बनता है । धरती पर फैले माइक्रो-प्लाटिक वर्षा के पानी के धरती में रिसाव में रुकावट बनते हैं। फलस्वरूप जलस्तर कम हो रहा है। खेतों में प्लास्टिक कचरे के बढ़ने से मिट्टी की उर्वरता कम हो जाती है और फसलों की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। कुतुबमीनार जैसे कचरे के ढेरों का मूल घटक प्लास्टिक ही है। कचरे के ढेर अपने शहरों और देश की शोभा भी कम करते हैं। प्लास्टिक रूपी राक्षस सैकड़ों वर्षों तक गलता नहीं जलाने पर वायु प्रदूषित करता है। हमारी जीवन शैली में कचरा प्रबंधन नहीं है। अक्सर प्लास्टिक कचरे को जला दिया जाता है, जिससे हवा में जहरीले पदार्थ घुल जाते हैं। हर साल लाखों लोग खराब वायु गुणवत्ता के कारण अपनी जान गंवाते हैं और लाखों लोग आजीवन स्वास्थ्य संबंधी दुष्प्रभावों से पीड़ित रहते हैं। दुनिया में 90 फीसदी से ज़्यादा लोग प्रदूषित हवा में सांस लेते हैं। समुद्रों में बहकर जाने वाला प्लास्टिक कचरा समुद्री जीवों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। हजारों मछलियाँ, कछुए, गाय और पक्षी प्लास्टिक को गलती से भोजन समझकर निगल लेते हैं। जिससे उनकी मृत्यु हो जाती है।
प्लास्टिक में मौजूद हानिकारक रसायन पानी और भोजन में मिलकर कैंसर, हार्मोन असंतुलन और अन्य गंभीर बीमारियों का कारण बन रहे हैं। प्लास्टिक की प्लेटों, कटोरियों, ग्लासों में जैसे ही गर्म वस्तु डालते हैं, वह कैंसरकार्क बन जाती है। डिस्पोजेबल बर्तनों में भोजन देना और लेना दोनों ही पाप हैं।
उन्होंने बताया कि प्रयागराज महाकुंभ 2025 को हरित, पवित्र और स्वच्छ कुंभ बनाने हेतु एक थैला एक थाली अभियान की योजना और क्रियान्वयन पर्यावरण संरक्षण गतिविधि द्वारा किया गया जो पूरी तरह से सफल रहा। पूरे देश से लोगों से कपड़े के थैले और थालियां इकट्ठी कर प्रयागराज महाकुम्भ में भेजी गईं । ताकि वहां प्लास्टिक का कचरा कम किया जा सके। एक अनुमान लगाया गया कि प्रत्येक व्यक्ति प्रतिदिन 120 ग्राम प्लास्टिक कचरा पैदा करे तो एक करोड़ श्रद्धालु 1200 टन कचरा एक दिन में पैदा करेंगे।
प्रयागराज महाकुंभ के भंडारों में स्टील की थालियां 10.25 लाख, कपड़े के थैले 13 लाख, स्टील के गिलास 2.5 लाख निःशुल्क वितरित किए गए। इससे पर्यावरणीय स्वच्छता का संदेश घर-घर तक पहुंचा। देशव्यापी अभियान में लाखों परिवारों की सहभागिता से हरित कुंभ अभियान सफल हुआ।