बागवानी विश्वविद्यालय का 13वां दीक्षांत समारोह आयोजित; राज्यपाल ने मेधावी विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक प्रदान किए

Governor Shiv Pratap Shukla presided over Nauni University’s 13th Convocation, with Minister Jagat Singh Negi.

राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने आज सोलन जिले के नौणी स्थित डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के 13वें दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता की। इस अवसर पर बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे।

राज्यपाल ने इस अवसर पर मेधावी विद्यार्थियों को 12 स्वर्ण पदक प्रदान किए। उन्होंने बागवानी एवं वानिकी में 119 पीएचडी की उपाधियां भी प्रदान कीं। जगत सिंह नेगी ने एमएससी और बीएससी के विद्यार्थियों को भी उपाधियां प्रदान कीं। दीक्षांत समारोह में कुल 816 उपाधियां प्रदान की गईं।

इस अवसर पर विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण की सराहना की और कहा कि यह समारोह बच्चों के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और कड़ी मेहनत और समर्पण के कारण हासिल की गई उपलब्धियों में से एक है। उन्होंने इस बात पर गर्व व्यक्त किया कि स्वर्ण पदक प्राप्त करने वालों में अधिकतर छात्राएं हैं, जो उच्च शिक्षा और शोध में उनकी बढ़ती प्रमुखता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह राष्ट्र की प्रगति के लिए एक आशाजनक संकेत है, विशेष रूप से कृषि, बागवानी और वानिकी जैसे क्षेत्रों में, जहां महिलाओं का योगदान अमूल्य है।

राज्यपाल ने विश्वविद्यालय को स्थापना दिवस पर बधाई दी तथा हिमाचल प्रदेश के संस्थापक एवं प्रथम मुख्यमंत्री डॉ. यशवंत सिंह परमार को राज्य के विकास में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार भी विश्वविद्यालयों को सहयोग देने तथा राज्य में शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। उन्होंने विद्यार्थियों से कृषि समुदायों के साथ शोध आधारित तकनीकों को साझा करके राष्ट्र के विकास में योगदान देने का आग्रह किया।

उन्होंने विद्यार्थियों से सतत् प्रथाओं के समाधान को बढ़ावा देकर किसानों और फल उत्पादकों के सामने आने वाली चुनौतियों का सक्रिय रूप से समाधान करने का आह्वान किया तथा किसानों की आय बढ़ाने के लिए खेती के तरीके सुझाने को भी कहा। उन्होंने नशा मुक्त हिमाचल प्रदेश के महत्व पर भी जोर दिया तथा विद्यार्थियों से नशा नेटवर्क को खत्म करने में सहायता करने का आग्रह किया।

राज्य की सेब अर्थव्यवस्था पर प्रकाश डालते हुए राज्यपाल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के कुल फल उत्पादन में सेब का योगदान 8 प्रतिशत है, जिसका मूल्य 5,000 करोड़ रुपये से अधिक है। उन्होंने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने तथा इस क्षेत्र में स्नातक और स्नातकोत्तर कार्यक्रम शुरू करने के लिए विश्वविद्यालय के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने विद्यार्थियों को समाज के लाभ के लिए केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा शुरू की गई स्टार्ट-अप पहलों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया।

राज्यपाल ने राष्ट्रीय संस्थागत फ्रेमवर्क रैंकिंग में कृषि विश्वविद्यालयों में 18वां स्थान प्राप्त करने तथा अपने मधुमक्खी अनुसंधान केंद्र के लिए सर्वोच्च मान्यता प्राप्त करने सहित विश्वविद्यालय की उपलब्धियों की भी प्रशंसा की। उन्होंने निरंतर सुधार की आवश्यकता पर बल दिया तथा स्नातकों से स्वरोजगार तथा उद्यमिता की तलाश करने का आग्रह किया।

बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने विश्वविद्यालय को उसके 13वें दीक्षांत समारोह तथा स्थापना दिवस की बधाई देते हुए कहा कि हिमाचल कृषि-बागवानी प्रधान राज्य है, जिसने उच्च तकनीक अपनाकर किसानों तथा बागवानों की आजीविका तथा आय के साधन बढ़ाने में सफलता प्राप्त की है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार किसानों तथा बागवानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। मंत्री ने कहा कि बागवानों की मांग के अनुरूप राज्य सरकार ने सेब की पैकिंग के लिए यूनिवर्सल कार्टन का उपयोग करने की पहल की, जिससे राज्य के बागवानों को सेब विपणन में अच्छे दाम मिले हैं। राज्य के इतिहास में यह पहली बार है, जब सरकार ने सेब की पैकिंग के लिए 100 करोड़ रुपये जारी किए हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने प्राकृतिक खेती से उत्पादित मक्की का न्यूनतम समर्थन मूल्य 30 रुपये प्रति किलोग्राम निर्धारित किया है। उन्होंने कहा कि 1,292 करोड़ रुपये की एचपी-शिवा परियोजना के तहत वर्ष 2028 तक बिलासपुर, हमीरपुर, कांगड़ा, मंडी, सिरमौर, सोलन और ऊना के 28 विकास खंडों में 6000 हेक्टेयर क्षेत्र को बागवानी के अंतर्गत लाने का लक्ष्य है, जिससे 15 हजार से अधिक बागवान परिवार लाभान्वित होंगे।

बागवानी मंत्री ने कहा कि बागवानी नीति को लागू करने वाला हिमाचल प्रदेश पहला राज्य होगा, जिससे 82,500 लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर मिलेंगे। सरकार ने प्राकृतिक खेती में अनुसंधान और विकास के लिए विश्वविद्यालय को लगभग 4 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की है।

इस अवसर पर डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. राजेश्वर चंदेल ने राज्यपाल का स्वागत किया तथा विश्वविद्यालय की विभिन्न उपलब्धियों एवं अन्य गतिविधियों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने प्राकृतिक खेती एवं विकास में अनुसंधान के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए राज्य सरकार का आभार व्यक्त किया।

राज्यपाल ने कार्यक्रम के दौरान विश्वविद्यालय के विभिन्न प्रकाशनों का विमोचन भी किया।

विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. संजीव चौहान ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।

विधायक अजय सोलंकी, सचिव बागवानी सी. पॉलरासू, प्रधान मुख्य अरण्यपाल वनेश कुमार पंत, राज्यपाल के सचिव सी.पी. वर्मा, निदेशक कृषि कुमुद सिंह, निदेशक बागवानी विनय सिंह, उपायुक्त सोलन मनमोहन शर्मा, पुलिस अधीक्षक गौरव सिंह, विश्वविद्यालय सीनेट, प्रबंधन बोर्ड और शैक्षणिक परिषद के सदस्य, विश्वविद्यालय के वैधानिक अधिकारी, कर्मचारी, छात्र समुदाय भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

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